किसान सियाराम की हत्या में पुलिस की जांच पर उठे सवाल

सियाराम की हत्या बालू खनन का विरोध करने पर गत 16 जुलाई 21 को हत्या कर दी गई थी। शव अगले दिन खदान से थोड़ी दूरी पर झाड़ियों में पाया गया था। शव मिलने के दूसरे दिन मृतक के भाई अमरनाथ की तहरीर पर हत्या कर शव छिपाने के आरोप में रामललित निवासी टेंगरिहा बाबू थाना कलवारी और मुकेश चौधरी निवासी महादेवाथाना लालगंज के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। बीस दिन बाद पुलिस यह पता नहीं लगा पाई इस हत्याकांड में और कितने लोग शामिल हैं। कलवारी थानाध्यक्ष अरविद शाही का कहना है नामजद दोनों आरोपितों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 05:09 PM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 08:20 PM (IST)
किसान सियाराम की हत्या में पुलिस की जांच पर उठे सवाल
किसान सियाराम की हत्या में पुलिस की जांच पर उठे सवाल

बस्ती: किसान सियाराम हत्याकांड में पुलिस की जांच और कार्रवाई को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। हत्याकांड में नामजद दोनों आरोपितों को जेल भेजने के बाद पुलिस ने चुप्पी साध ली है। हत्याकांड में कई और चेहरे शामिल हैं। कलवारी पुलिस इस मामले में और लोगों पर हाथ डालने से कतरा रही है।

सियाराम की हत्या बालू खनन का विरोध करने पर गत 16 जुलाई 21 को हत्या कर दी गई थी। शव अगले दिन खदान से थोड़ी दूरी पर झाड़ियों में पाया गया था। शव मिलने के दूसरे दिन मृतक के भाई अमरनाथ की तहरीर पर हत्या कर शव छिपाने के आरोप में रामललित निवासी टेंगरिहा बाबू थाना कलवारी और मुकेश चौधरी निवासी महादेवा,थाना लालगंज के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। बीस दिन बाद पुलिस यह पता नहीं लगा पाई इस हत्याकांड में और कितने लोग शामिल हैं। कलवारी थानाध्यक्ष अरविद शाही का कहना है नामजद दोनों आरोपितों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।

पुलिस की जांच में यह साबित हो गया है किसान सियाराम की हत्या बालू खनन का विरोध करने पर ही हुआ था। दरअसल पट्टाधारक किसानों की भूमिधरी जमीन पर खनन कर रहे थे। सियाराम के खेत में खनन कर न केवल पट्टेदारों ने गड्ढा बना दिया, बल्कि बालू लदी गाड़ियां भी उसी के खेत से होकर आ जा रही थी। खेती की जमीन बर्बाद होता देख सियाराम के साथ ही टेंगरिहा बाबू गांव के आधा दर्जन किसानों ने संगठित होकर विरोध शुरू किया था। इसकी शिकायत किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय में तो की ही थी मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। इसको लेकर पट्टाधारक के कर्मियों से 15 जुलाई को विवाद हुआ था। 16 जुलाई को जमीन के कागजात दिखाने के बहाने सियाराम को खदान पर बुलाया गया और हत्या कर शव को झाड़ियों में छिपा दिया गया।

किसान सियाराम की हत्या का मामला इंटरनेट मीडिया में चर्चा में आया तो एडीजी अखिल कुमार ने इसे गंभीरता से लिया। आइजी अनिल कुमार राय को इसकी जांच के निर्देश दिए। 23 जुलाई को आइजी पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव के साथ मौके पर पहुंचे। इससे पहले ही बांध बनाकर खनन कर रहे पट्टाधारक ने मामले की लीपापोती कराने के लिए बांध तोड़ दिया, जिससे खेतों में बाढ़ का पानी भर गया। घटनास्थल पर पानी भरा होने के चलते पुलिस अधिकारी मौके तक नहीं पहुंच सके। हालांकि घटना में शामिल लोगों की साजिश को पुलिस अधिकारी भांप गए। बहरहाल आइजी उस दिन मृतक के घर गए और स्वजन के साथ ही ग्रामीणों से भी घटना के बारे में बयान लिए। स्वजन का आरोप है खेत में जबरिया बालू खनन करने पर किसानों ने विरोध किया खनन करने वालों ने ग्रामीणों को धमकाया भी था।

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किसान सियाराम हत्याकांड की गहनता से जांच कराई जा रही है। इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। कलवारी थानाध्यक्ष को विवेचना में तेजी जाने के निर्देश दिए गए हैं।

अनिल कुमार राय, आइजी

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