प्रतिबंधित चाइनीज सेब से पटा पूर्वांचल का बाजार, नेपाल के रास्ते पहुंचाई जा रही खेप

चीन के प्रतिबंधित और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सेब नेपाल के रास्तेे भारत के सीमाई जिलों में आ रहे हैं। इस समय स्थिति यह है कि गोरखपुर समेत आसपास के जिलों में चाइनीज सेब से बाजार पटे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 07:50 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 07:50 AM (IST)
प्रतिबंधित चाइनीज सेब से पटा पूर्वांचल का बाजार, नेपाल के रास्ते पहुंचाई जा रही खेप
चाइना के प्रतिबंधित सेब से नेपाल से सटे भारतीय क्षेत्र के बाजार पट गए हैं। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जेएनएन। बाजार में इन दिनों चाइनीज सेब छाया हुआ है। देखने में आकर्षक और भारतीय सेब के मुकाबले सस्ता होने के कारण लोग इस सेब को खूब खरीद रहे हैं। ये सेब फल की थोक मंडी में न आकर शहर के बाहरी हिस्सों से फुटकर विक्रेताओंं को बेचा जा रहा है। हैं। भारत-नेपाल सीमा पर कड़ी चौकसी के बाद भी चाइनीज सेब की खेप जिला मुख्यालय तक पहुंच रही है। बाजारों में ठेले से लेकर बड़ी दुकानों पर इसकी बिक्री के बावजूद जिम्मेदार इसके प्रति अनजान बने हैं।

सस्ता होने के कारण खूब हो रही चाइनीज सेब की बिक्री

सेब का सीजन नहीं है और बाजार में काेल्ड स्टोरेज का अच्छा सेब 250 रुपये किला बिक रहा है। वहीं चाइनीज सेब 100 से 120 रुपये किलाे मिल रहे हैं। आकार व आकृति में बड़े व आकर्षक दिखने वाले इन सेब की मार्केट में मांग बनी हुई है, क्याेंकि खरीदार को यह पता ही नहीं है कि यह सेब तस्करी के जरिए देश में लाया गया है। इस सेब को खाने से लोगों की सेहत पर क्या असर पड़ेगा इस बारे में भी किसी के पास ठोस जानकारी नहीं है।

केमिकल मिलाए जाने के कारण प्रतिबंधित है चाइनीज सेब

शहर के शास्त्री चौक, बेतियाहाता, आंबेडकर चौराहा, मोहद्दीपुर, रुस्तमपुर, सूरजकुंड, जाफरा बाजार, इलाहीबाग, गोरखनाथ, पादरी बाजार, बरगदवा और नौसढ़ इलाके में बड़े चाइनीज सेब की बिक्री की जा रही है। फल के थोक कारोबारी विजय कुमार ने बताया कि भारत में चाइनीज सेब की बिक्री प्रतिबंधित है, क्योंकि सेब में केमिकल मिलाया जाता है जाे शरीर के अंगों के लिए नुकसानदेह है। ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए कुछ लोग तस्करी कर खुदरा बाजार में पहुंचा रहे हैं। अगर इस पर रोक नहीं लगी तो फल विक्रेताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

नेपाल के रास्ते आता है सेब

चाइनीज सेब नेपाल के रास्ते महराजगंज और सिद्धार्थनगर होते हुए गोखपुर, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, खलीलाबाद, मऊ समेत बिहार के सिवान और गोपालगंज भी जाता है। सेब विक्रेता सुमित ने बताया कि शहर के बाहरी हिस्से में देर रात सेब उतरता है और वहीं से ठेले वाले लेकर चले जाते हैं। एक किलो सेब बेचने में 25 से 40 रुपये तक मुनाफा हो रहा है, जो काेई और फल बेचने में नहीं हो सकता।

टेस्ट में अलग है चाइनीज सेब का स्वाद

चाइनीज सेब को पहचानना बहुत आसान है। सेब में काफी शाइनिंग होती है और उसका रंग पिंक हाेता है। खाने में नरम और भुरभुरा लगता है, जबकि भारतीय सेब में शाइनिंग नहीं होती और थोड़ा खट्टापन लिए होता है।

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