महराजगंज में सजा पूरी, अब कोरोना की कैदी बनीं दो विदेशी

25 दिसंबर 2018 को सोनौली अंतरराष्ट्रीय सीमा पर उज्बेकिस्तान की महिला दिलफरोज नोरोवा अपने दिल्ली निवासी साथी संदीप तिवारी के साथ फर्जी पासपोर्ट व आधार कार्ड के सहारे नेपाल जाने के प्रयास में गिरफ्तार हुई थी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 01:15 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 01:15 AM (IST)
महराजगंज में सजा पूरी, अब कोरोना की कैदी बनीं दो विदेशी
महराजगंज में सजा पूरी, अब कोरोना की कैदी बनीं दो विदेशी

महराजगंज: सोनौली सीमा से फर्जी वीजा और पासपोर्ट के सहारे नेपाल जाने के प्रयास के मामले में जिला जेल में बंद उज्बेकिस्तान की दिलफरोज नोरोवा व इंडोनेशिया की रोहाना इमाम सुबारी अपने अपराध की सजा पूरी करने के बाद अब कोरोना की कैदी बनीं हुई हैं। कोविड काल में विदेश यात्रा पर पाबंदी के कारण उन्हें स्वदेश भेजने में परेशानी हो रही है। एक माह पूर्व जेल से रिहा होने के बाद उन्हें जिला प्रशासन की ओर से पुलिस लाइन में सुरक्षा व्यवस्था के साथ ठहराया गया है। जिला प्रशासन उनके दूतावास से संपर्क कर उनको स्वदेश भेजने के प्रयास में जुटा है।

25 दिसंबर 2018 को सोनौली अंतरराष्ट्रीय सीमा पर उज्बेकिस्तान की महिला दिलफरोज नोरोवा अपने दिल्ली निवासी साथी संदीप तिवारी के साथ फर्जी पासपोर्ट व आधार कार्ड के सहारे नेपाल जाने के प्रयास में गिरफ्तार हुई थी। इस मामले में सोनौली थाने में तत्कालीन आव्रजन कार्यालय के सहायक सूचना अधिकारी धर्मेंद्र तोमर द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में जिला न्यायालय ने आरोपित दिलफरोज को दो वर्ष छह माह की सजा सुनाई थी। इसी प्रकार 17 जनवरी 2020 को इंडोनेशिया की रोहाना इमाम सुबारी को भी आव्रजन कार्यालय सोनौली की टीम ने फर्जी वीजा पर भारत से नेपाल में घुसने के प्रयास में गिरफ्तार किया था, जिसे न्यायालय ने डेढ़ वर्ष की सजा सुनाई थी। सजा पूरी होने पर दिलफरोज नोरोवा को 17 जून व रोहोना इमाम सुबारी को 22 जून को जेल से रिहाई मिल गई है।

पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने बताया कि दिल्ली स्थित उज्बेकिस्तान और इंडोनेशिया के दूतावास के अधिकारियों को पत्र भेजकर उनको भेजे जाने की प्रक्रिया प्रगति पर है। दूतावास से आदेश मिलते ही उनको उनके दूतावास को सौंप दिया जाएगा।

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