एक एकड़ खेत में 60 क्विंटल से अधिक कर रहे स्ट्राबेरी का उत्पादन, किसानों में जगा रहे नई उम्मीद Gorakhpur News

चरगांवा ब्लाक के जंगल अयोध्या प्रसाद के किसान मोहन प्रसाद व पिपराइच ब्लाक के उनैला दोयम के किसान धर्मेंद्र सिंह स्ट्राबेरी की खेती से पूर्वांचल के किसानों में नई उम्मीद जगा रहे हैं। धर्मेंद्र ने तो पहली स्ट्राबेरी की खेती की और उनकी अधिकांश स्ट्राबेरी खेत से बिक गई।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 08:10 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 08:10 PM (IST)
एक एकड़ खेत में 60 क्विंटल से अधिक कर रहे स्ट्राबेरी का उत्पादन, किसानों में जगा रहे नई उम्मीद Gorakhpur News
स्ट्राबेरी के फल के साथ मोहन प्रसाद। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन : चरगांवा ब्लाक के जंगल अयोध्या प्रसाद के किसान मोहन प्रसाद व पिपराइच ब्लाक के उनैला दोयम के किसान धर्मेंद्र सिंह स्ट्राबेरी की खेती से पूर्वांचल के किसानों में नई उम्मीद जगा रहे हैं। धर्मेंद्र ने तो पहली स्ट्राबेरी की खेती की और उनकी अधिकांश स्ट्राबेरी खेत से बिक गई। करीब एक बीघे क्षेत्रफल में स्ट्राबेरी की खेती करने वाले धर्मेंद्र सिंह ने खेत में ही स्ट्राबेरी के फलों की पैकिंग कराई। अधिकांश स्ट्राबेरी खेत से ही ढाई सौ रुपये किलो के हिसाब बिक गई। जो बची, उसे उन्होंने शहर में पहुंचा दिया। धर्मेंद्र सिंह स्ट्राबेरी की खेती पर करीब सात लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। दो बीघे में करीब 60 क्विंटल से अधिक स्ट्राबेरी का उत्पादन हुआ है। इसकी बिक्री करके उन्हें करीब 15 लाख रुपये का लाभ हुआ है। स्ट्राबेरी की खेती से धर्मेंद्र ने अपने साथ-साथ 12 और लोगों को भी रोजगार दिया है। स्ट्राबेरी की खेती से लेकर फलों की पैकिंग, उसे बाजार ले जाने में धर्मेंद्र का सहयोग करते हैं। धर्मेंद्र कहते हैं कि पूर्वांचल में स्ट्राबेरी की खेती के जरिये ही किसानों के दूनी आय का सपना साकार हो सकता है।

इसलिए की स्ट्राबेरी की खेती

जंगल अयोध्या प्रसाद निवासी मोहन प्रसाद ने इस सीजन में स्ट्राबेरी के सिर्फ 200 पौधे लगाए थे। इससे वह कोई लाभ तो नहीं कमा सके, लेकिन किसानों को उसका फल वितरित करके उसे लगाने की विधि बता कर उन्हें प्रेरित करते रहे। मोहन कहते हैं कि पिछले सीजन में उन्होंने करीब दो बीघे में स्ट्राबेरी की खेती की थी। उत्पादन भी अच्छा हुआ था, लेकिन लाकडाउन के चलते फलों की बिक्री नहीं हो सकी थी। सिर्फ पूंजी निकल गई थी। मोहन कहते हैं कि इस बार उन्होंने स्ट्राबेरी की खेती से सिर्फ इसलिए की थी कि किसान इससे प्रेरित हो सकें। मोहन कहते हैं दो दर्जन से अधिक किसानों ने उससे खेती की विधि जानी है। उन्होंने पुणे में संपर्क भी किया है। इस बार जिले में स्ट्राबेरी की खेती करने वाले किसानों की संख्या दो दर्जन से अधिक होगी।

सितंबर-अक्टूबर है खेती के लिए उपयुक्त समय

स्ट्राबेरी की खेती के लिए सितंबर व अक्टूबर उपयुक्त माना जाता है। फरवरी, मार्च तक इसकी फसल तैयार हो जाती है। मोहन व धर्मेंद्र बताते हैं कि वह पुणे से स्ट्राबेरी के पौधे मंगाकर खेती करते हैं। इनके पौधों को करीब 10 से 25 डिग्री तापमान चाहिए। यहां की मिट्टी स्ट्राबेरी के लिए उपजाऊ है।

यहां है मांग

यहां आइसक्रीम सहित बेकरी के तमाम उत्पाद तैयार करने में स्ट्राबेरी की जरूरत पड़ती है।

अर्जित किया छह से सात लाख का लाभ

गोरखपुर के राजकीय उद्यान अधीक्षक अरुण कुमार तिवारी ने कहा कि स्ट्राबेरी की खेती से एक एकड़ में करीब छह से सात लाख का लाभ अर्जित किया जा सकता है

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