कोरोना वायरस की मार से कराह रहा उद्योग जगत, 80 फीसद तक गिरा उत्‍पादन

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण में इस समय 400 से अधिक छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां स्थापित हैं। आक्सीजन एवं खाद्य पदार्थ एवं पैकेजिंग से जुड़ी इकाइयों को छोड़ दें तो अधिकतर में उत्पादन काफी हद तक कम हो गया है। छोटी से लेकर बड़ी इकाइयां तक इससे प्रभावित हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 11:10 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 06:43 PM (IST)
कोरोना वायरस की मार से कराह रहा उद्योग जगत, 80 फीसद तक गिरा उत्‍पादन
कोरोना संक्रमण के कारण गोरखपुर की फैक्ट्रियों में उत्‍पादन कम हो गया है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना की पहली लहर को काबू करने के लिए लगे संपूर्ण लाकडाउन में उद्यमी और कर्मचारी जहां छूट की राह देख रहे थे, वहीं दूसरी लहर में छूट मिलने के बावजूद उत्पादन कर पाने में स्वयं को असमर्थ पा रहे हैं। पूरा उद्योग जगत कोरोना की मार से कराह रहा है। बाजार में मांग कम हो जाने और सुरक्षा की दृष्टि से कर्मचारियों के लगातार अनुपस्थित रहने के कारण अधिकतर इकाइयों में उत्पादन 50 से 80 फीसद तक कम हो गया है। कई इकाइयों में तो कर्मचारियों की सुरक्षा को देखते हुए उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

आवश्यक वस्तुओं को छोड़ दें तो अधिकतर इकाइयों में 

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में इस समय 400 से अधिक छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां स्थापित हैं। आक्सीजन एवं खाद्य पदार्थ एवं पैकेजिंग से जुड़ी इकाइयों को छोड़ दें तो अधिकतर में उत्पादन काफी हद तक कम हो गया है। छोटी से लेकर बड़ी इकाइयां तक इससे प्रभावित हैं। स्टील से जुड़ी इकाइयां हों या टेक्सटाइल और रेडीमेड गारमेंट, प्रभाव हर जगह पड़ा है। उद्यमियों की मानें तो गीडा में करीब 75 फीसद इकाइयों का यही हाल है।

यही हाल रहा तो बंद हो सकता है उत्पादन

इंडिया ग्लायकाल्स लिमिटेड (आइजीएल) के बिजनेस हेड एसके शुक्ला का कहना है कि उनके यहां नाइट शिफ्ट में कर्मचारियों को नहीं बुलाया जा रहा है। दिन की शिफ्ट में अभी भी 70 से 75 फीसद कर्मचारी आ रहे हैं। लेकिन उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ा है। एक महीने पहले की तुलना में इस समय उत्पादन 50 फीसद तक आ गया है। आइजीएल में डेडिकेटेड ट्रांसपोर्ट के लिए ट्रकों की अलग से व्यवस्था की गई है लेकिन इस समय ड्राइवरों के न आने से लाजिस्टिक भी प्रभावित है। राजस्व का भी काफी नुकसान है। अगर बंदी और बढ़ी तो बाटलिंग का काम पूरी तरह से रोकना पड़ेगा। यानी जो 50 फीसद उत्पादन हो रहा है, वह भी बंद हो जाएगा।

उपस्थित हो रहे 25 फीसद लोग

गीडा में हार्डवेयर से जुड़ी तीन इकाइयां संचालित करने वाले चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष आरएन सिंह बताते हैं कि उनके यहां करीब 25 फीसद लोग ही उपस्थित हो रहे हैं। सभी के घर में किसी न किसी की तबीयत खराब है। सुरक्षा को लेकर सभी कर्मचारी चिंतित हैं। शनिवार को वेतन का दिन होने के बाद भी सभी कर्मचारी नहीं आए। दुकानें बंद होने से बाजार में मांग भी कम है, इसलिए उत्पादन भी 20 फीसद तक आ गया है। यही हाल अधिकतर इकाइयों का है।

कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए बंद करनी पड़ी इकाई

कारीवाल टेक्सटाइल के एमडी एवं लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष दीपक कारीवाल का कहना है कि कर्मचारियों में भय का माहौल था। उत्पाद की मांग भी न के बराबर है। ऐसे में पिछले 15 दिनों से इकाई को बंद कर दिया गया है। टेक्सटाइल से जुड़ी अधिकतर इकाइयों का यही हाल है। इस समय कर्मचारियों की सुरक्षा सबसे अहम है। इंडस्ट्रियल एरिया एवं बरगदवा में भी कुछ इकाइयों को बंद करना पड़ा है। इस बार कर्मचारी स्वयं ही इकाइयों को बंद करने की अपील मालिकों से कर रहे हैं। 

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