निजी अस्पतालों को नहीं मिल पा रहा पर्याप्त आक्सीजन, मरीजों को हो रही परेशानी Gorakhpur News

निजी हास्पिटलों को समय से पर्याप्त आक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इस वजह से मरीजों के इलाज में दिक्कत आ रही है। साथ ही एजेंसिया अस्पतालों तक आक्सीजन सिलेंडर पहुंचा नहीं रही हैं। कर्मचारियों को आक्सीजन के लिए एजेंसी तक जाना पड़ रहा है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 10:25 AM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 10:25 AM (IST)
निजी अस्पतालों को नहीं मिल पा रहा पर्याप्त आक्सीजन, मरीजों को हो रही परेशानी Gorakhpur News
गीडा स्थित आक्सीजन प्लांट के बाहर आक्सीजन के लिए कतार में लगे लोग। फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन : निजी हास्पिटलों को समय से पर्याप्त आक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इस वजह से मरीजों के इलाज में दिक्कत आ रही है। साथ ही एजेंसिया अस्पतालों तक आक्सीजन सिलेंडर पहुंचा नहीं रही हैं। मरीजों की देखरेख करने वाले कर्मचारियों को आक्सीजन के लिए एजेंसी तक जाना पड़ रहा है। साथ ही विभिन्न एजेंसियों का रेट अलग होने से भी अस्पतालों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है। आक्सीजन महंगा लेने पर उसका भार अंतत: मरीज पर ही पड़ता है। संकट काल में मरीजों का कम खर्च में इलाज हो, इसके लिए निजी अस्पतालों ने सभी एजेंसियों का रेट एक करने की मांग की है।

बिना नमूना लिए निगेटिव रिपोर्ट जारी करने पर डीएम हुए नाराज, दिए जांच के निर्देश

बिना नमूना लिए 10 लोगों के कोरोना संक्रमित की निगेटिव रिपोर्ट जारी करने पर डीएम के. विजयेंद्र पाण्डियन ने नाराजगी जताई है। डीएम ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। कहा कि बिना नमूना लिए जांच रिपोर्ट जारी करना गंभीर मामला है। कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने वाला कोई व्यक्ति यदि संक्रमित हो जाता तो महामारी का दायरा और बढ़ सकता था।

सैकड़ों को अब भी रिपोर्ट का इंतजार

कोरोना का लक्षण दिखने के बाद आरटीपीसीआर जांच कराने वाले सैकड़ों नागरिकों को अब भी रिपोर्ट का इंतजार है। इनमें से कई ने निजी लैब तो कई ने घर में इलाज कर खुद को फिट कर लिया है। रिपोर्ट न मिलने से सभी में नाराजगी भी बहुत ज्यादा है।

यह है मामला

शहर के वार्ड नंबर 28 सेक्टर तीन शिवपुर सहबाजगंज निवासी पवन श्रीवास्तव ने नौ अप्रैल को एंटीजन जांच कराई तो रिपोर्ट पाजिटिव आयी। उन्होंने खुद को घर में आइसोलेट कर इलाज शुरू कर दिया। 10 अप्रैल को कलक्ट्रेट स्थित कोविड कंट्रोल रूम से कांटैक्ट ट्रेसिंग के लिए फोन आया तो 10 लोगों का नाम व पता बता दिया। उन्होंने किसी का मोबाइल नंबर नहीं दिया। 30 अप्रैल को उन्होंने अपनी आरटीपीसीआर जांच कराई। दो दिन बाद रिपोर्ट देखने के लिए कोविड पोर्टल पर चेक किया तो खुद के साथ ही उन सभी की रिपोर्ट उनके मोबाइल फोन में थी, जिनका नाम कांटैक्ट ट्रेसिंग में बताया था। पवन ने सभी लोगों से बात की तो सबने अब तक कोरोना जांच के लिए नमूना न देने की जानकारी दी। दैनिक जागरण ने इस फर्जीवाड़ा को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। इसका संज्ञान लेते हुए डीएम ने जांच के निर्देश दिए हैं।

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