निर्यात रुकते ही काबू में आई प्याज, 15 दिनों में दोगुनी हुई थी कीमत

सरकार द्वारा प्‍याज के निर्यात पर रोक लगाते ही प्‍याज के मूल्‍य में 25 फीसद तक की गिरावट दर्ज किया गया है। 15 दिनों में प्‍याज की कीमत दोगुनी हो गई थी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 16 Sep 2020 10:00 AM (IST) Updated:Wed, 16 Sep 2020 06:48 PM (IST)
निर्यात रुकते ही काबू में आई प्याज, 15 दिनों में दोगुनी हुई थी कीमत
निर्यात रुकते ही काबू में आई प्याज, 15 दिनों में दोगुनी हुई थी कीमत

गोरखपुर, जेएनएन। प्‍याज के निर्यात पर रोक लगने का असर दिखने लगा है। निर्यात पर रोक लगतेे ही प्याज के बढ़ते दामों पर ब्रेक लग गया है। सोमवार को थोक मंडी में प्याज चार हजार रुपये क्विंटल बिका, लेकिन सरकार की ओर से प्याज के निर्यात पर रोक लगते ही मंगलवार को प्याज की कीमत में 25 फीसद तक की कमी आ गई। कारोबारियों के मुताबिक नासिक में प्याज चार हजार से घटकर तीन हजार रुपये क्विंटल हो गया है। आने वाले दिनों में कीमतों में और गिरावट हो आ सकती है।

निर्यात में बढ़ोतरी और बारिश के कारण बढ़ेे थे दाम

गोरखपुर में पांच ट्रक (एक ट्रक में 28 से 30 टन) प्याज की प्रतिदिन खपत है। ज्यातादर महाराष्ट्र के प्याज नासिक से आ रही थी। महेवा स्थित थोक मंडी में एक दिन पहले तक अच्छी क्वालिटी का प्याज 38 रुपये तथा फुटकर में 45 से पचास रुपये किलो बिका। बढ़ती कीमतों को देखते हुए कई थोक कारोबारियों ने प्याज को स्टोर कर लिया था। निर्यात में बढ़ोतरी, बारिश और बाढ़ प्रभावित इलाकों में खपत बढ़ने से अचानक प्याज के दाम बढ़ने लगे थे। 

अगस्‍त तक 12 से 20, सितंबर 35 रुपये प्रति किलो पहुंच गई थी कीमत

अप्रैल से लेकर अगस्त तक प्याज न्यूनतम 12 तथा अधिकतम 20 रुपये किलो तक बिका, लेकिन सितंबर के शुरुआत से ही कीमत बढ़नी शुरू हो गई। सोमवार काे निर्यात पर राेक लगने का सीधा असर कीमतों पर पड़ा है। थोक मंडी में मंगलवार को प्याज 28 सौ से लेकर 32 सौ रुपये क्विंटल तक बिकी। हालांकि फुटकर बाजार में कीमत कम होने में दो-तीन दिन का वक्त लग सकता है। थोक कारोबारी मोहम्मद शम्स राइनी के मुताबिक पिछले दिनों हुई बारिश के बाद प्याज की कीमत अचानक बढ़ने के बाद आपूर्ति कम हो रही थी। क्योंकि स्टॉक में एक तो प्याज कम है दूसरा जिनके पास स्टॉक है वे अधिक कीमत की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन अब कीमत कम हाेने के आसार हैं। अचानक 25 फीसद दाम कम होने से स्थानीय व्यापारियों को काफी नुकसान होगा।

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