दो माह में 22 से 35 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ा रिफाइंड और सरसों तेल का मूल्य
रिफाइंड और सरसों के तेल के दाम में बढ़ोतरी जारी है। बार-बार दाम बढ़ने से अाम आदमी परेशान है। अभी ये तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है। बीते दो माह में रिफाइंड के दामों में 22 रुपए लीटर की तेजी आई है।
गोरखपुर, जेएनएन। तेल के मूल्य में एक बार फिर बढ़ोतरी हुई है। बीते दाे माह में लाेग जब भी रिफाइंड और सरसों का तेल खरीदने किराने की दुकान पर गए हैं उन्हें दाम बढ़े हुए मिले। जनवरी के बाद से ही तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही है। पहली बार सरसों का तेल 165 रुपये लीटर पहुंच गया है, जबकि रिफाइंड भी 155 से 160 रुपये के बीच बिक रहा है।
अभी और बढ़ेंगे भाव
सब्जियों के दामों में नरमी आने के बाद फल एवं रिफाइंड और सरसों के तेल के दाम में बढ़ोतरी जारी है। बार-बार दाम बढ़ने से अाम आदमी परेशान है। अभी ये तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है। आने वाले समय में रिफाइंड और सरसों तेल के दामों में और तेजी की आशंका जताई जा रही है। बीते दो माह में रिफाइंड के दामों में 22 रुपए लीटर की तेजी आई है। इसी तरह सरसों के तेल के दाम भी 35 रुपए तक बढ़ गए हैं। |
गड़बड़ा गया किचन का बजट
गोरखनाथ निवासी गुंजन श्रीवास्तव ने बताया कि महंगाई से रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। सब्जी का दाम कम होता है तो तेल, दाल और रसोई गैस के दाम बढ़ जाते हैं। तेल की बढ़ती किमतों पर नियंत्रण बहुत जरूरी है, नहीं तो दाम 200 रुपये लीटर के पार पहुंच जाएगा। छोटे काजीपुर निवासी संजीदा ने बताया कि हर माह का रेट फिक्स होना चाहिए। एक ही तेल दो दुकानों पर अलग-अलग कीमतों पर बेचा जा रहा है। महंगाई गृहणियों के सामने मुश्किलें पैदा कर रही हैं।
साल भर में 60 फीसद तक बढ़ी कीमत
पिछले साल अप्रैल में रिफाइंड का एक लीटर का पैकेट 90 रुपये का था, जो अब बढ़कर 155 रुपये हाे गई है। इसी तरह सरसों का तेल 105 रुपये लीटर था जो अब 165 रुपये पर पहुंच गया है। दोनों तरह के तेलों में बेहिसाब बढ़ोतरी हो रही है। कारोबारियों के मुताबिक सोयाबीन की फसल की पैदावार अच्छी न होने के कारण रिफाइंड के दामों पर असर पड़ा है। सरसों के तेल में भी तेजी बनी हुई है।
इस कारण बढ़ रहा भाव
थोक कारोबारी संजय कुमार ने बताया कि पाम तेल एवं सोया तेल की टैरिफ वैल्यू में बढ़ोतरी के कारण रिफाइंड की कीमतें कम होने के बजाए बढ़ती जा रही है। रिफाइंड कभी इस कीमत पर नहीं बिका था। दूसरी तरफ सरसों की पैदावार कम और मांग ज्यादा होने के कारण कीमत काबू में नहीं आ पा रही है। किसी तरह का नियंत्रण न होने से कंपनियां भी मनमाना कीमत वसूल रही हैं।