Lockdown में आधा वेतन देने वाले महाविद्यालयों पर कार्यवाही की तैयारी Gorakhpur News
कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन की अवधि में महाविद्यालय ने शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को सिर्फ 50 फीसद या उससे कम ही वेतन भुगतान किया है जो कि गलत है।
गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध कई महाविद्यालयों ने लॉकडाउन में अपने शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को आधा वेतन दिया है। शिक्षकों की शिकायत को विश्वविद्यालय प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। महाविद्यालयों को पत्र भेजकर विश्वविद्यालय ने लॉकडाउन की अवधि में कार्यरत शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को पूर्ण वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है।
वेतन न देने वाले इन क्षेत्र के है कई डिग्री कालेज
महाविद्यालयों को भेजे गए पत्र में विश्वविद्यालय प्रशासन ने लिखा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन की अवधि में महाविद्यालय ने शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को सिर्फ 50 फीसद या उससे कम ही वेतन भुगतान किया है जो कि गलत है। यह उनके साथ अन्याय है। वेतन कटौती करने को लेकर कोई न तो शासन ने निर्देश दिया है और न ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई निर्देश जारी किया है। विश्वविद्यालय को जिन महाविद्यालयों के खिलाफ शिकायत मिली है उनमें खजनी, बेलघाट व सहजनवां स्थित महाविद्यालय शामिल हैं।
हीला हवाली करने वाले कार्यवाही के लिए तैयार रहें
इस संबंध में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. ओम प्रकाश का कहना है कि शिकायत मिली है। महाविद्यालयों के लॉकडाउन की अवधि में पूर्ण वेतन का भुगतान करने को लेकर पत्र भेजकर शासनादेश के अनुसार वेतन भुगतान कर अवगत कराने को कहा गया है। यदि उन्होंने हीला हवाली की तो फिर अगली कार्यवाही के लिए तैयार रहें।
प्रवेश शुल्क कम करने को लेकर कुलपति को ज्ञापन
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति को प्रणव द्विवेदी ने शुक्रवार को ज्ञापन देकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के विद्यार्थियों का परीक्षा आवेदन शुल्क कम करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि विवि प्रशासन ऐसा करता है तो इससे वर्ग के छात्र-छात्राओं का भला होगा।ज्ञापन में कहा गया है कि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र-2020-21 के लिए प्रवेश आवेदन की ऑनलाइन प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। विवि प्रशासन ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का शुल्क भी सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों के सामान ही रखा है, जो इस इस श्रेणी के विद्यार्थियों के साथ अन्याय है।