टैक्स के बकाए में होटल प्रेसीडेंट सील करने की तैयारी, प्रबंधन ने कहा- ब्लैकमेल कर रहे नगर निगम के अधिकारी
Hotel President of Gorakhpur ढाई करोड़ रुपये बकाये के आरोप में होटल प्रेसीडेंट को सील करने की तैयारी में है जबकि होटल प्रबंधन ने इसे ज्यादती बताते हुए निगम प्रशासन पर उत्पीडऩ करने का गंभीर आरोप लगाया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। नगर निगम ढाई करोड़ रुपये बकाये के आरोप में होटल प्रेसीडेंट को सील करने की तैयारी में है, जबकि होटल प्रबंधन ने इसे ज्यादती बताते हुए निगम प्रशासन पर उत्पीडऩ के गंभीर आरोप लगाए हैं। नगर निगम प्रशासन का कहना है कि होटल प्रबंधन को रुपये जमा करने का अंतिम नोटिस दे दिया गया है। अगर बकाया रुपये जमा नहीं हुए तो एक हफ्ते में होटल सील करने की कार्रवाई की जाएगी।
यह है मामला
दो साल पहले नगर निगम प्रशासन ने जल, गृह व सीवर कर के बकाये के ब्याज में 50 फीसद छूट दी थी। छूट की समयसीमा पूरी होने के बाद भी जिन लोगों ने रुपये जमा नहीं किए, उनके खिलाफ कार्रवाई का निर्णय लिया गया था। नगर निगम की टीम कई प्रतिष्ठानों को सील करने पहुंची थी। टीम के मौके पर पहुंचने के बाद ज्यादातर लोगों ने बकाये का भुगतान कर दिया था। अब नगर निगम प्रशासन एक-एक रुपये बकाया जमा कराने में जुटा है।
इस बीच ज्यादा से ज्यादा कर इकट्ठा करने और बकायेदारों से वसूली के लिए नगर निगम प्रशासन शहर में बड़े बकायेदारों को लगातार नोटिस दे रहा है। अधिकारी हर हफ्ते समीक्षा कर रहे हैं। कर निरीक्षकों से दिए गए लक्ष्य के सापेक्ष वसूली पर बात की जा रही है। वसूली में फिसड्डी साबित हो रहे कर निरीक्षकों और विभाग के जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है। इस क्रम में सैकड़ों बकायेदारों को नोटिस दिया जा चुका है। नोटिस के बाद भी रुपये न जमा करने वालों बकायेदारों की अचल संपत्ति सील कर जब्त करने की कार्रवाई शुरू कराई जाएगी।
होटल प्रेसीडेंट को रुपये जमा करने का आखिरी मौका भी दिया जा चुका है। ढाई करोड़ रुपये बकाया हैं। अब होटल सील करने की कार्रवाई की जाएगी। - संजय शुक्ल, उप नगर आयुक्त।
ढाई लाख के कर को ढाई करोड़ कर दिया
होटल पर हर साल जल और गृहकर के रूप में 2.56 लाख रुपये का कर बनता है। 2015 से वह इसे जमा करते आ रह हैं। अब कर की राशि बढ़ाकर अचानक ढाई करोड़ रुपये कर दी गई है। इसके लिए भवन का मूल्यांकन भी मनमाने ढंग से किया गया है। होटल के जिस भवन का मूल्यांकन पहले पांच लाख था उसे 72 लाख कर दिया जबकि चार लाख वाले का मूल्यांकन 36 लाख कर दिया। हमने नगर निगम में कई प्रत्यावेदन भी दिए लेकिन अधिकारी-कर्मचारी हमारी बात नहीं सुन रहे। हम पर 2014 से टैक्स लगाया जा रहा है जबकि 2018 तक का टैक्स हम पहले ही जमा कर चुके हैं। अवैध वसूली के लिए हमें ब्लैकमेल कर दबाव बनाया जा रहा है। - दिलीप यादव, संचालक होटल प्रेसीडेंट।