Natural Path Treatment: पोस्ट कोविड मरीजों का प्राकृतिक चिकित्सा पर बढ़ा भरोसा

अन्य चिकित्या पैथियों से राहत नहीं मिला तो पोस्ट कोविड मरीजों ने प्राकृतिक चिकित्सा की शरण ली। गोरखपुर के आरोग्य मंदिर में करीब दर्जन भर मरीज धूप पानी मिट्टी व हवा से अपना इलाज करा रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा ने मात्र पांच दिन में ही राहत दे दी है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 07:02 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 07:02 AM (IST)
Natural Path Treatment: पोस्ट कोविड मरीजों का प्राकृतिक चिकित्सा पर बढ़ा भरोसा
आरोग्य मंदिर में प्राकृतिक चिकित्सा कराता मरीज। - जागरण

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। दिल्ली, बिहार व उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों के पोस्ट कोविड मरीजों को जब चिकित्सा की अन्य पैथियों से कोई लाभ नहीं मिला तो उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा की शरण ली। आरोग्य मंदिर में 12 मरीज धूप, पानी, मिट्टी व हवा से अपना इलाज करा रहे हैं। अन्य पैथियों की दवाएं छह माह में भी आराम नहीं दे पाई लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा ने मात्र पांच दिन में राहत दे दी है। मरीज खुश हैं। प्राकृतिक चिकित्सा पर उनका भरोसा बढ़ने लगा है।

अन्य पैथियों से नहीं मिला लाभ तो पहुंचे आरोग्य मंदिर, ली धूप, मिट्टी, पानी, हवा की शरण

जिन 12 पोस्ट कोविड मरीजों का इलाज आरोग्य मंदिर में चल रहा है, उन सभी ने संक्रमण काल के दौरान स्टेरायड का प्रयोग किया था। उनमें एक दिल्ली के भरत विहार निवासी 80 वर्षीय सौरव श्रीवास्तव भी हैं। उनकी पोस्ट कोविड समस्या में भी डाक्टर उन्हें स्टेरायड (डेक्सामेथासोन) खिला रहे थे। वह पिछले साल नवंबर में संक्रमित हुए थे। उसके पहले उन्हें कोई बीमारी नहीं थी। लेकिन जब संक्रमण से उबरे तो उन्हें शुगर, ब्लडप्रेशर, कब्ज, अनिद्रा, भूख न लगना, खुलजी आदि की समस्या आई। साथ ही कमजोरी ने सताना शुरू किया। बताते हैं कि छह माह से वह इन बीमारियों का इलाज दिल्ली में ही करा रहे थे लेकिन आराम नहीं मिला तो अपने शुभचिंतक के कहने पर वह गत 21 जून को यहां आरोग्य मंदिर आए।

मात्र पांच दिन के इलाज में ही मिली राहत

मात्र पांच दिन के इलाज में ही उनकी अनिद्रा व कब्ज की बीमारी दूर हो गई है। ब्लड प्रेशर ठीक हो गया है। खुलजी कम हो गई है। भूख लगने लगी है। प्राकृतिक चिकित्सक ने उनकी ज्यादातर दवाएं बंद करा दी हैं। केवल शुगर की दवा अभी खा रहे हैं। स्टेरायड अचानक बंद नहीं किया जा सकता, इसलिए उसे कम करते हुए दो दिन में बंद करा देंगे। अन्य की उम्र 35 से 60 वर्ष के बीच है।

वाराणसी के प्रणय सिंह, गोरखपुर के दिव्य नगर निवासी सुमन तिवारी को भी दवाओं से जब राहत नहीं मिली तो उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा की शरण ली है। इन्हें कमजोरी, थकान, पैरों में दर्द, अक्सर बुखार होने की शिकायत थी। सभी मरीज अभी एक माह तक आरोग्य मंदिर में रहकर इलाज कराएंगे। उनका कहना है कि इस चिकित्सा पद्धति से कम दिन में ही आराम मिल गया।

धूप, मिट्टी, पानी, हवा से होता है इलाज

आरोग्य मंदिर में कोई दवा नहीं खिलाई जाती। जो मरीज दवा लेकर आते हैं उन्हें अचानक बंद भी नहीं किया जाता। जब आराम होने लगता है तो दवाओं से धीरे-धीरे उन्हें मुक्त किया जाता है। शुद्ध वातावरण में मरीजों का धूप, पानी, हवा, मिट्टी से इलाज होता है। उन्हें शुद्ध प्राकृतिक भोजन दिया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सक के अनुसार प्रकृति के पास रहने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

शुद्ध वातावरण में भरपूर आक्सीजन मिलता है। धूप से विटामिन डी प्राप्त होता है। ठंडा-गर्म पानी से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। फल, सलाद, अंकुरित अनाज, उबली सब्जियों व चोकर सहित आटे की रोटी से मिनरल्स व विटामिन की पूर्ति होती है। साथ ही मनुष्य का शरीर जिन तत्वों से बना है, उन्हीं का प्रयोग कर मर्ज ठीक कर दिया जाता है। यह चिकत्सा पद्धति दवाओं के दुष्प्रभाव को कम करती है और धीरे-धीरे दवाओं से मुक्त कर देती है।

जो भी पोस्ट कोविड मरीज यहां भर्ती हैं, वे अपने शुभचिंतकों के बताने पर पहली बार आए हैं। पांच से 10 दिन में ही लोगों की अनेक समस्याएं खत्म हो गई हैं। वे अच्छा महसूस कर रहे हैं। जो यहां सिखाया जा रहा है, उसका पालन घर पर भी करते रहने होगा। हमेशा स्वस्थ रहने के लिए यह जरूरी है। - डा. विमल मोदी, निदेशक, आरोग्य मंदिर।

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