विकास प्राधिकरण की राह में जनसंख्या का पेच, शहर का अनियोजित विकास रोकना चुनौती Gorakhpur News
देवरिया शहर का अनियोजित विकास रोकना चुनौती बन गया है। एक तरफ अतिक्रमण व अवैध निर्माण पर जहां अंकुश नहीं लग पा रहा है तो दूसरी तरफ संकरी व कच्ची सड़कें जलनिकासी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन : देवरिया शहर का अनियोजित विकास रोकना चुनौती बन गया है। एक तरफ अतिक्रमण व अवैध निर्माण पर जहां अंकुश नहीं लग पा रहा है तो दूसरी तरफ संकरी व कच्ची सड़कें, जलनिकासी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है। विनियमित क्षेत्र के अधिकार क्षेत्र सीमित होने पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रहा है। इसको देखते हुए विकास प्राधिकरण के गठन की कोशिशें की जा रही थीं, लेेकिन जनसंख्या का पेच इसमें बाधक बन गया है। जिलाधिकारी अमित किशोर ने पौने दो साल पहले विकास प्राधिकरण का प्रस्ताव तैयार कर शासन में भेजा। 2011 की जनगणना में जनसंख्या 1.32 लाख होने के कारण पेच फंस गया। जिला प्रशासन ने जनसंख्या का आकार, यातायात मार्ग, रेलवे, जनसंख्या दशक वृद्धि दर, व्यवसायिक ढांचा, आवासीय कमी, महायोजना की स्थिति आदि के भारांक की गणना 62 की, लेकिन शासन ने जनसंख्या डेढ़ लाख से कम होने पर भारांक 57 बताया। जबकि
शासन की गाइडलाइन के मुताबिक 60 या इससे अधिक भारांक वाले नगरीय निकायों को विकास प्राधिकरण बनाने का नियम है।
विकास प्राधिकरण में शामिल हो सकते हैं तीन नगर निकाय
यदि विकास प्राधिकरण के प्रस्ताव पर शासन की मुहर लग गई तो शहर से सटे 188 राजस्व गांवों के अलावा नगर पालिका परिषद देवरिया, नगर पंचायत रामपुर कारखाना व नगर पंचायत गौरीबाजार शामिल हो सकते हैं। जिला प्रशासन की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव में इन गांवों व तीनों नगर निकायों को मिलाकर ही मानचित्र प्रस्तावित किया गया है।
दोबारा भेजा जाएगा प्रस्ताव
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग गोरखपुर के संयुक्त नियोजक हितेश कुमार ने बताया कि डीएम की तरफ से विकास प्राधिकरण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। 2011 में जनसंख्या कम होने से भारांक 60 से कम है। 2021 की जनगणना होने के बाद दोबारा प्रस्ताव भेजा जाएगा।