Gorakhpur pollution: गतिविधियां बढ़ी तो बिगड़ने लगी शहर की आबोहवा, प्रदूषण खतरनाक मुकाम पर

बात डराने की नहीं सचेत करने की है कि सात अक्टूबर तक 100 से नीचे तक ठहरा रहने वाला एक्यूआई इन दिनों 150 का आंकड़ा पार कर चुका है। खरीफ की फसल कटने की वजह से बढ़ी धूल को भी पर्यावरण विशेषज्ञ एक वजह बमान रहे हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 12:48 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 12:48 PM (IST)
Gorakhpur pollution: गतिविधियां बढ़ी तो बिगड़ने लगी शहर की आबोहवा, प्रदूषण खतरनाक मुकाम पर
इस समय बढ़ते प्रदूषण की प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। लाॅकडाउन के दौरान शहर की गतिविधियां थमीं तो आबोहवा पर भी फर्क पड़ा। 200 से अधिक एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) वाला शहर गोरखपुर 100 के नीचे एक्यूआई वाला शहर बन गया। लेकिन प्रदूषण को लेकर यह सुकूनदायी आंकड़ा ज्यादा दिन नहीं ठहर सका। गतिविधियों के बढ़ते ही यह एक बार फिर 200 माइक्रोग्राम घनमीटर की ओर बढ़ चला है।

बात डराने की नहीं, सचेत करने की

बात डराने की नहीं सचेत करने की है कि सात अक्टूबर तक 100 से नीचे तक ठहरा रहने वाला एक्यूआई इन दिनों 150 का आंकड़ा पार कर चुका है। मौसम व पर्यावरण विशेषज्ञ कैलाश पांडेय इसकी की तीन वजहें बता रहे हैं। पहला वातावरण में नमी का औसत से अधिक होना। दूसरा तापमान गिरने की वजह से उच्च वायुदाब का बनना और तीसरा सबसे महत्वपूर्ण वजह वाहनों का संचलन एक बार फिर अपने रौ में पहुंच जाना। खरीफ की फसल कटने की वजह से बढ़ी धूल को भी पर्यावरण विशेषज्ञ एक वजह बमान रहे हैं।

बीते 10 दिन में ऐसे बढ़ा शहर का एक्यूआई

तिथि एक्यूआई

23 अक्टूबर 152

22 अक्टूबर 155

21 अक्टूबर 161

20 अक्टूबर 160

19 अक्टूबर 152

18 अक्टूबर 156

17 अक्टूबर 152

16 अक्टूबर 139

15 अक्टूबर 163

14 अक्टूबर 160

एक्यूआइ का मानक

0-50: बहुत कम असर होता है, खतरा नहीं।

51-100: बीमार लोगों को सांस लेने में मामूली दिक्कत।

101-200: बच्चे, बुजुर्ग व दिल, फेफड़े रोगियों को सांस लेने में दिक्कत।

201-300: सभी लोगों को सास लेने में कठिनाइयां शुरू होंगी।

301-400: लोग सास की बीमारियों के घेरे में आ जाएंगे।

400 से अधिक: हर स्वस्थ्य इंसान को सांस की बीमारी हो सकती है।

क्या है एक्यूआइ

एयर क्वालिटी इंडेक्स को वायु गुणवत्ता सूचकांक भी कहा जाता है। इसके जरिए हमें वायुमंडल और वातारण में मौजूद हवा की गुणवत्ता की जानकारी मिलती है। इसका आंकलन माइक्रो ग्राम क्यूब मीटर के आधार पर किया जाता है।

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