गोरखपुर खाद कारखाना का लोकार्पण अक्टूबर में ही होगा, अब पीएमओ तय करेगा दिन
गोरखपुर खाद कारखाना का किस तिथि पर लोकार्पण होगा इसका अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) लेगा। इस बीच लोकार्पण का समय करीब आता देख खाद कारखाना में दिन-रात काम चल रहा है। लोकार्पण का समय करीब आता देख खाद कारखाना में दिन-रात काम चल रहा है।
गोरखपुर, जागरण संवाददता। हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के खाद कारखाना का लोकार्पण अक्टूबर में ही होगा। इसके लिए तीन तिथियां तय की गई हैं। किस तिथि पर लोकार्पण होगा इसका अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) लेगा। इस बीच लोकार्पण का समय करीब आता देख खाद कारखाना में दिन-रात काम चल रहा है। अफसरों की अलग-अलग टीम पहले ही गठित कर दी गई है।
एचयूआरएल चेयरमैन ने किया निरीक्षण
एचयूआरएल और इंडियन आयल कारपोरेशन के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैध ने भी खाद कारखाना परिसर का निरीक्षण किया। उन्होंने सभी कार्यों को देखा। चेयरमैन ने अधूरे कार्यों को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए। इस दौरान एचयूआरएल के प्रबंध निदेशक एके गुप्ता, आइओसी के उत्तर प्रदेश राज्य कार्यालय एक के राज्य प्रमुख डा. उत्तीय भट्टाचार्य, एचयूआरएल के वाइस प्रेसीडेंट वीके दीक्षित, वरिष्ठ प्रबंधक सुबोध दीक्षित आदि मौजूद रहे।
लोकार्पण के लिए इन तिथियों की चर्चा
खाद कारखाने के लोकार्पण के लिए जिन तीन तिथियों की चर्चा हो रही है उनमें दो अक्टूबर, 13 अक्टूबर और 16 अक्टूबर की तिथि है। इसी में से किसी एक तिथि को खाद कारखाने के लोकार्पण की उम्मीद की जा रही है।
ट्वीट कर दी जानकारी
चेयरमैन श्रीकांत माधव वैध ने रविवार को ट्वीट कर खाद कारखाना में निरीक्षण की जानकारी दी। बताया कि एचयूआरएल की टीम से मुलाकात की और अत्याधुनिक खाद कारखाना से जुड़े कार्यों की समीक्षा की।
उर्बरक सचिव कर चुके हैं निरीक्षण
इससे पहले उर्वरक सचिव आरके चतुर्वेदी ने खाद कारखाना में आए थे और उन्होंने परिसर में अफसरों के साथ बैठक की। परिसर में अधूरे काम को जल्द से जल्द पूरा कराने के निर्देश दिए। कहा कि अक्टूबर में खाद कारखाना शुरू हो जाएगा इसलिए कोई काम बाकी न रहने दिया जाए। तब यह कहा गया था कि हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) का खाद कारखाना हर हाल में अक्टूबर महीने में शुरू करना होगा। केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की ओर से डेडलाइन तय करने के बाद एचयूआरएल प्रबंधन ने तेजी पकड़ ली है। जो भी काम पूरे नहीं हैं उसके लिए अलग-अलग कमेटियों का गठन कर दिया गया है। कमेटी को काम पूरा कराने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। खाद कारखाना की मशीनों को संचालित करने के लिए अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि देशों से इंजीनियरों का आना शुरू हो गया है। कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने के बाद इंजीनियरों को वापस अपने देश जाना पड़ा था। अब एक बार फिर खाद कारखाना के काम में तेजी आयी तो इंजीनियर आने लगे हैं।