फोन पर फोन,नहीं पहुंच रही एंबुलेंस

बस्ती में 73 एंबुलेंस कोरोना मरीजों के लिए महज 19 आरक्षित

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 11:15 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 11:15 PM (IST)
फोन पर फोन,नहीं पहुंच रही एंबुलेंस
फोन पर फोन,नहीं पहुंच रही एंबुलेंस

जागरण संवाददाता ,बस्ती: आवास विकास कालोनी के ऐश्वर्य कुमार को कोरोना के लक्षण थे। घर से कैली हास्पिटल जाने के लिए फोन कर एंबुलेंस की सहायता मांगी। पूछा जाता रहा रिपोर्ट पाजिटिव है। यह कहने पर कि जांच कराया है,लेकिन रिपोर्ट नहीं आई है। सांस लेने में काफी दिक्कत है। एंबुलेंस अंतत: नहीं पहुंची और निजी वाहन से स्वजन को अस्पताल लेकर जाना पड़ा। ऐसे ही न जाने कितने कोरोना और कोरोना के लक्षण वाले मरीज एंबुलेंस के अभाव में समय से अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं।

एंबुलेंस सेवा भी कोरोना मरीजों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही है। कभी आक्सीजन की कमी तो कभी नियमों की बंदिश में कोरोना के लक्षण वाले मरीज एंबुलेस सेवा के लिए फोन पर फोन कर रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। जिले में कहने को 73 एंबुलेंस हैं लेकिन इनमें से 19 ही कोरोना मरीजों के लिए लगाए गए हैं। ऐसे में कोरोना मरीजों को लेकर लोग बाइक और कार से अस्पताल पहुंच रहे हैं। एंबुलेंस प्रभारी डा.राकेश मणि त्रिपाठी के अनुसार जिले में 102 एंबुलेंस सेवा के अधीन 35 एंबुलेंस हैं। यह सभी गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए हैं। अन्य सभी तरह के मरीजों की सेवा के लिए 108 एंबुलेंस सेवा है। इसके अधीन 34 एंबुलेंस हैं जिसमें से महज 17 ही कोरोना मरीजों के लिए है। इसमें से 1-1 एंबुलेंस 14 ब्लाकों के लिए आरक्षित है। एएलएस यानी एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस चार है जिसमें से दो कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए है।

खुले में आ जा रहे कोरोना संक्रमित

जिले में प्रतिदिन सौ से डेढ़ सौ कोरोना के मरीज सामने आ रहे हैं। एंबुलेंस के प्रभारी डा.राकेश मणि त्रिपाठी ने बताया कि प्रतिदिन शहरी क्षेत्र से एंबुलेंस के लिए 15-20 काल आते हैं और सभी अटेंड किए जाते हैं। जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। एंबुलेंस सेवा के लिए काफी जटिल प्रक्रिया निचले स्तर पर बना दी गई है ताकि मरीज परेशान होकर दूसरे साधन से अस्पताल चला जाए। कोरोना संक्रमित मिलने वाले 50 फीसद मरीज भी यदि रोज अस्पताल रोज पहुंच रहे हों तो वह कैसे जा रहे हैं। एक बड़ा सवाल है। या तो वह बाइक से या फिर कार से। खुले रूप में कोरोना संक्रमितों को कहीं ले जाने से रास्ते में अन्य लोगों के भी संक्रमित होने का खतरा है। कोरोना मरीजों के लिए प्रत्येक ब्लाक में एक एंबुलेंस दिए गए हैं लेकिन यह नाकाफी है। ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर कोरोना मरीज निजी वाहनों से अस्पताल पहुंच रहे हैं।

कोरोना के लक्षण वाले मरीजों का बुरा हाल

कोरोना पाजिटिव मरीजों के लिए ही एंबुलेंस सेवा मिल पा रही है। अस्पताल पहुंचने वाले अधिकतर कोरोना से मिलते जुलते लक्षण वाले मरीज हैं। इनकी समस्या यह है कि एंबुलेंस के लिए मदद मांगने पर रिपोर्ट मांगी जाती है। बहुत अनुनय विनय करने पर कंट्रोल रूम के प्रभारी का फोन नंबर दे दिया जाता है। उनको फोन करने पर पहले अस्पताल में फोन कर बेड आरक्षित कराने की सलाह दी जाती है। इस तरह मरीज इसी में पिसता रहता है। मजबूरी में वह दूसरे साधने से अस्पताल भागता है। यह मरीज कहीं कोरोना पाजिटिव निकला तो इसका कांटैक्ट ट्रेसिग भी नहीं हो पाएगी। कोरोना के तेजी से फैलाव के पीछे यह भी एक वजह बताई जा रही है। निजी एंबुलेस वसूल रहे मनमाना किराया

बस्ती जिले में निजी एंबुलेंस मनमाना किराया वसूल रहे हैं। जिला अस्पताल से मूड़घाट तक एंबुलेस संचालक ने छह हजार मांगे अनुनय-विनय पर वह चार हजार में तैयार हुआ। यह घटना पांडेय बाजार, पुरानी बस्ती निवासी अजय सिंह के साथ घटी। ऐसे ही न जाने हर कितने लोग निजी एंबुलेंस संचालकों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं। जिलाधिकारी ने इन शिकायतों को गंभीरता से लिया है। निजी एंबुलेंस की दरें निर्धारित कर दी है। चेताया है अधिक धनराशि मरीज व परिजन से लिए जाने पर संबंधित एंबुलेंस चालक के विरुद्ध महामारी एक्ट 1897 तथा उत्तर प्रदेश महामारी कोविड-19 एक्ट 2020 के प्रावधानों के अनुसार दंडित किया जाएगा।

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