महराजगंज में बुखार से तप रहे लोग, इलाज के लिए करना पड़ रहा घंटों इंतजार

महराजगंज जिले में बुखार के केस बढ़ने के साथ ही बढ़ने के साथ ही ओपीडी में भी मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। खासकर बच्चों में बुखार और अन्य रोगों की बढ़त को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 11:30 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 11:30 AM (IST)
महराजगंज में बुखार से तप रहे लोग, इलाज के लिए करना पड़ रहा घंटों इंतजार
जिला अस्पताल में बच्चों की जांच करते डा. विशाल चौधरी। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : महराजगंज जिले में बुखार के केस बढ़ने के साथ ही बढ़ने के साथ ही ओपीडी में भी मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। खासकर बच्चों में बुखार और अन्य रोगों की बढ़त को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। हाल ये है कि फिजिशियन, बाल रोग विशेषज्ञ से इलाज कराने के लिए बुखार से तप रहे लोग सुबह से ही जिला अस्पताल में पहुंच रहे हैं। मरीजों को घंटों लाइन में लगनी पड़ रही है। जिला अस्पताल पहुंचे करीब 1300 मरीजों में से 650 बुखार से पीड़ित थे, जिनमें 60 फीसद बच्चे शामिल रहे। इस वजह से सबसे लंबी लाइन बुखार के मरीजों की ही थी। बच्चों को दिखाने के लिए तीमारदार एक-दूसरे पर चढ़े हुए थे।

एक भी डेंगू का पाजिटिव केस नहीं

जिला अस्पताल या जिले में फिलहाल एक भी डेंगू का पाजिटिव केस नहीं है, लेकिन बुखार के मरीजों की स्थिति और शासन के दिशा-निर्देश देखते हुए एहतियात के तार पर जिला महिला अस्पताल में इमरजेंसी के तौर पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसमें एक साथ 20 से अधिक मरीजों का इलाज किया जा सकता है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एके राय ने बताया कि बुखार के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ओपीडी में बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं। बुखार के गंभीर मरीजों को भर्ती करने के निर्देश दिए गए हैं।

इंसेफ्लाइटिस वार्ड में भर्ती हुआ एक और मरीज

इंसेफ्लाइटिस वार्ड में जहां ठीक होने पर कुल सात बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया, वहीं वार्ड में एक इंसेफ्लाइटिस व एक निमोनिया के मरीज को भर्ती किया गया है। प्रभारी डा. राकेश रमन ने बताया कि कुल 15 बेड पर कुल 19 मरीज भर्ती किए गए हैं। सबका बेहतर तरीके से इलाज किया जा रहा है।

भीड़ पर नहीं दिखा नियंत्रण

जिला अस्पताल में भीड़ पर नियंत्रण को लेकर अस्पताल प्रबंधन के सभी दावे फेल दिखे, इसमें जहां ओपीडी में लोग एक दूसरे पर चढ़े हुए देखे गए। वहीं चिकित्सकों को काम करने में भी परेशानी हुई। कोविड प्रोटोकाल तो दूर लोगों को भीड़ से निकलने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

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