महराजगंज में तीन विभागों के बीच दुश्वारी झेल रहे 12 गांवों के लोग

ग्राम प्रधान ने बताया कि उच्चाधिकारियों की अनुमति नहीं मिलने के कारण काम को रोक दिया गया है। खंड विकास अधिकारी नौतनवा डा. सुशांत सिंह का कहना है कि विशुनपुरा गांव के सामने महाव के टूटे तटबंध की मरम्मत के लिए धन की कोई स्वीकृति नहीं दी गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 12:29 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 12:29 AM (IST)
महराजगंज में तीन विभागों के बीच दुश्वारी झेल रहे 12 गांवों के लोग
महराजगंज में तीन विभागों के बीच दुश्वारी झेल रहे 12 गांवों के लोग

महराजगंज: नेपाल से निकला महाव नाला जिले के लिए त्रासदी बन चुका है। नाले से जुड़े तटबंध की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जा चुके हैं, लेकिन अब तक इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो सका है। नौतनवा क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ खेत रेत से पटे हुए हैं, लेकिन सिचाई खंड दो, वन विभाग व ग्राम पंचायत के जिम्मेदार एक दूसरे के ऊपर ठीकरा फोड़ रहे हैं। बीते 15 जून को नाले का तटबंध चार स्थानों पर टूटा था।

बुधवार को विशुनपुरा गांव की ग्राम प्रधान गीता देवी ने अपने गांव के सामने टूटे कटान स्थल को भरने के लिए मजदूरों को लगा बोरियों में मिट्टी भरने का कार्य शुरू कराया। लेकिन कुछ ही घंटे बाद काम ठप हो गया। ग्राम प्रधान ने बताया कि उच्चाधिकारियों की अनुमति नहीं मिलने के कारण काम को रोक दिया गया है। खंड विकास अधिकारी नौतनवा डा. सुशांत सिंह का कहना है कि विशुनपुरा गांव के सामने महाव के टूटे तटबंध की मरम्मत के लिए धन की कोई स्वीकृति नहीं दी गई है। मनरेगा से पिछले वर्ष उसी स्थान पर कार्य कराया जा चुका है। नाले में हैं 65 खतरनाक मोड़

नेपाल से सर्पीले आकार में भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने वाले महाव नाले की लंबाई 23 किमी है, जिसका 15 किमी हिस्सा जंगल के बाहर पड़ता है। 65 से अधिक खतरनाक मोड़ हैं, जो जलस्तर बढ़ते ही कब और कहां बांध को तोड़कर तबाही मचा दें, कुछ कहा नहीं जा सकता। नाले का शेष आठ किमी हिस्सा मधवलिया व चौक उत्तरी रेंज के घने जंगल से गुजरते हुए गंगवलिया टोला करौता के पास बघेला नाले में मिल जाता है। हालांकि बरसात पूर्व जिलाधिकारी डा. उज्जवल कुमार ने महाव नाले का निरीक्षण कर सिचाई व वन विभाग के अधिकारियों को नाले की बाढ़ से बचाव के लिए सभी संभव उपाय करने का निर्देश दिए थे, लेकिन उनका आदेश अमल में नहीं आ सका। तटबंध टूटने पर ग्राम पंचायतों के जिम्मे डाल दी जाती है जिम्मेदारी

सिचाई विभाग के अभिलेख में महाव एक पहाड़ी नाला है, जिसका कोई तटबंध नहीं होता है। ऐसे में सिचाई विभाग केवल समय- समय पर नाले से सिल्ट सफाई कराकर मामले से पल्ला झाड़ लेता है। जबकि उफनाने के बाद नाला जब अपने तटबंध को एक साथ कई स्थानों पर तोड़कर तबाही मचाता है, तो इसके मरम्मत की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों के हवाले कर दी जाती है। वन क्षेत्र के अंदर नाले के परिकल्पित तली की चौड़ाई 20 मीटर के सापेक्ष महज चार मीटर ही उपलब्ध है, ऐसे में नाला अत्यंत संकीर्ण है। जिसके चलते नेपाल से महाव नाले में तीव्र गति से पानी आने पर वन क्षेत्र में पानी का निकास अवरुद्ध हो जाता है। मरम्मत कार्य मनरेगा से कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। यदि मरम्मत कार्य रोक दिया गया है तो उच्चाधिकारियों से वार्ता कर उसे पुन: चालू कराया जाएगा।

-राजीव कपिल, अधिशासी अभियंता, सिचाई खंड दो महराजगंज

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