कोरोना पाजिटिव होने के बाद मोतियाबिंद के भी शिकार हो गए लोग

जिन मरीजों को मोतियाबिंद नहीं था कोरोना पाजिटिव होने के बाद वे इस बीमारी के शिकार हो गए हैं। निजी अस्पताल में आए 30 फीसद पोस्ट कोविड मरीजों में मोतियाबिंद की शिकायत मिली। मेडिकल कालेज में पहुंचे मरीजों में 12 से 15 फीसद में यह शिकायत सामने आई है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 16 Jul 2021 07:30 AM (IST) Updated:Fri, 16 Jul 2021 07:30 AM (IST)
कोरोना पाजिटिव होने के बाद मोतियाबिंद के भी शिकार हो गए लोग
पोस्‍ट कोविड मरीजों में आ रही मोतियाबिंद की शिकायत। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : जिन मरीजों को मोतियाबिंद नहीं था, कोरोना पाजिटिव होने के बाद वे इस बीमारी के शिकार हो गए हैं। एक निजी अस्पताल में आए 30 फीसद पोस्ट कोविड मरीजों में मोतियाबिंद की शिकायत मिली है। बाबा राघव दास बीआरडी मेडिकल कालेज में पहुंचे मरीजों में 12 से 15 फीसद में यह शिकायत सामने आई है। हालांकि अभी शुरुआत है। डाक्टरों ने फालोअप के लिए बुलाया है। यदि ज्यादा दिक्कत बढ़ी तो छह माह बाद उनका आपरेशन हो सकता है।

20 मरीज आंखों की समस्‍या को लेकर पहुंचे थे एक निजी अस्‍पताल

एक निजी अस्पताल में 20 मरीज आंख गड़ने, लाली व पानी गिरने की समस्या लेकर पहुंचे थे। इनमें से पांच में मोतियाबिंद की शुरुआत हो चुकी है। इसमें महराजगंज, सिंघड़िया व रुस्तमपुर के पुरुष तथा चौरीचौरा व सहजनवां की दो महिलाएं शामिल हैं। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज के पोस्ट कोविड ओपीडी में आंख में लाली, गड़न व पानी गिरने की समस्या लेकर 112 मरीज पहुंचे। इनमें से 15 में मोतियाबिंद मिला है। सभी की उम्र 40 से 45 वर्ष के बीच है। पूछने पर पता चला कि उन्हें कोरोना संक्रमण हुआ था और गंभीर रूप से बीमार पड़े थे। संक्रमण के दौरान उनका आक्सीजन स्तर 70 से 80 फीसद के बीच था। ठीक होने में लगभग एक माह का समय लगा।

आमतौर पर 55 की उम्र के बाद होती है मोतियाबिंद की शुरुआत

डाक्टरों के मुताबिक आमतौर पर 55 वर्ष की उम्र के बाद ही मोतियाबिंद की शुरुआत होती है, लेकिन इन मरीजों की जान बचाने के लिए 20 दिन से अधिक स्टेरायड दिया गया था। सभी का शुगर लेवल चार से पांच सौ एमजी तक पहुंच गया था। बाद में शुगर नियंत्रित हो गया लेकिन उसकी वजह से मोतियाबिंद की शुरुआत हो गई है।

सबसे ज्यादा आ रही एलर्जी की समस्या

सबसे ज्यादा मरीज एलर्जी की समस्या लेकर नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास पहुंच रहे हैं। इनमें पोस्ट कोविड व नान कोविड दोनों तरह के मरीज हैं। सबसे ज्यादा संख्या आनलाइन क्लास लेने वाले बच्चाें की है। इसमें छह वर्ष के बच्चों से लेकर 22 साल तक के युवा शामिल हैं। डाक्टरों के मुताबिक सभी बच्चों के पास लैपटाप नहीं है, इसलिए वे मोबाइल पर क्लास ले रहे हैं। आंखों में सूखापन आ रहा है। इसके अलावा मास्क लगाने से सांस आंख तक जाती है, उसकी वजह से भी आंखों के आंसू सूख जा रहे हैं। इस वजह से पानी गिरने की समस्या आ रही है।

स्‍टेरायड के अधिक सेवन से शुगर बढ़ने के कारण मोतियाबिंद की शिकायत

नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. रजत कुमार ने कहा कि पोस्ट कोविड मरीजों में स्टेरायड के अधिक सेवन से शुगर का स्तर बढ़ा और उसकी वजह से मोतियाबिंद की शुरुआत हो गई हैं। आनलाइन क्लास लेने वाले बच्चों को हर आधे घंटे के बाद दो-चार मिनट का ब्रेक लेना बहुत जरूरी है। संभव हो तो 60 फीसद आनलाइन व 40 फीसद आफलाइन क्लास शुरू कर देना चाहिए।

मोतियाबिंद की समस्‍या आ रही है पोस्‍ट कोविड मरीजों में

बीआरडी मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. रामकुमार जायसवाल ने कहा कि पोस्ट कोविड मरीजों में मोतियाबिंद की समस्या आ रही है, लेकिन इसके कारणों के बारे में अभी स्पष्ट रूप से कुछ कह पाना संभव नहीं है। अध्ययन चल रहा है। शुगर लेबल बढ़ना एक कारण हो सकता है। जिन्हें मोतियाबिंद शुरू हुआ है। उनका फालोअप किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर आपरेशन किया जाएगा।

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