गोरखपुर में बढ़ रहे डेंगू के लक्षण वाले मरीज, निजी अस्पतालों में चल रहा इलाज
गोरखपुर में लगभग 50 बाल रोग विशेषज्ञ व इतनी की संख्या में फिजिशियन हैं। सभी के यहां प्रतिदिन डेंगू के लक्षणों वाले दो-तीन मरीज पहुंच रहे हैं। उनका इलाज चल रहा है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग इसकी भयावहता से बेखबर है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। डेंगू के लक्षणों वाले मरीजों की कमी नहीं है। शहर में लगभग 50 बाल रोग विशेषज्ञ व इतनी की संख्या में फिजिशियन हैं। सभी के यहां प्रतिदिन डेंगू के लक्षणों वाले दो-तीन मरीज पहुंच रहे हैं। उनका इलाज चल रहा है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग इसकी भयावहता से बेखबर है। निजी पैथोलाजी व अस्पताल इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को नहीं दे रहे हैं। खुशफहमी में स्वास्थ्य विभाग हाथ पर हाथ रखकर बैठ गया है। अस्पतालों व पैथोलाजी की जांच नहीं हो रही है। अलबत्ता जिन आम नागरिकों के घर के आसपास पानी इकट्ठा है, उन्हें मलेरिया विभाग नोटिस थमा रहा है।
निजी पैथोलाजी व अस्पताल नहीं दे रहे मरीजों की सूचना
दरअसल निजी पैथोलाजी में डेंगू की रैपिड जांच आठ सौ रुपये में होती है। एलाइजा जांच का शुल्क 1500 से 2000 रुपये है। जिन मरीजों की रैपिड जांच पाजिटिव आ रही है, वे एलाइजा जांच के लिए दो हजार रुपये और न खर्च कर सीधे इलाज करा रहे हैं। डेंगू के लक्षण वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन विभाग का कहना है कि डेंगू नियंत्रण में आ चुका है। सात टीमें शहर में रोकथाम के लिए लगाई गई हैं। इसकी वजह से डेंगू पनप नहीं पाया, जबकि लगातार बारिश व जल भराव होने से इस बीमारी के फैलने की परिस्थितियां बन गई थीं। जिले में केवल एक मरीज में अभी तक डेंगू की पुष्टि हुई है। दो मरीज लखनऊ व प्रयागराज से जांच कराकर शहर में आए थे। तीनों स्वस्थ हो चुके हैं। दो संदिग्धों का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।
खुशफहमी में स्वास्थ्य विभाग, नहीं कर रहा अस्पतालों की जांच
स्वास्थ्य विभाग ने एक सितंबर से अब तक 660 लोगों की डेंगू की जांच की है। सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है। एक निजी पैथोलाजी ने 10 दिन पूर्व 17 वर्षीय एक युवती की रिपोर्ट पाजिटिव दी थी। इसके अलावा राप्तीनगर फेज-1 निवासी एक नौ साल का बालक तथा फेज- 4 निवासी 27 वर्षीय एक युवक प्रयागराज से जांच कराकर लगभग 20 दिन पूर्व लौटा था। तीनों पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। डेंगू के दो संदिग्धों का जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड में इलाज चल रहा है। उनकी एलाइजा जांच रिपोर्ट अभी नहीं आई है।
हर जगह बनाए गए डेंगू वार्ड
एहतियात के तौर पर बीआरडी मेडिकल कालेज में 70 बेड तथा जिला अस्पताल में 11 बेड का डेंगू वार्ड बना दिया गया है। इसके अलावा सभी 20 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तीन-तीन बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों व हेल्थ वेलनेस सेंटरों पर जांच के लिए रैपिड किट उपलब्ध करा दी गई है।
वर्ष डेंगू से ग्रसित मौत
2016 168 00
2017 11 02
2018 25 00
2019 114 00
2020 09 00
निजी पैथोलाजी ने चार की पाजिटिव रिपोर्ट भेजी थी, जो एलाइजा जांच में निगेटिव हो गई। सभी स्वास्थ्य केंद्रों व जिला अस्पताल में संदिग्ध मरीजों की जांच की जा रही है। जिनकी रैपिड जांच पाजिटिव आती है, उनकी एलाइज की जाती है। अभी तक केवल एक में डेंगू की पुष्टि हुई है। दो मरीज बाहर से जांच कराकर लौटे हैं। तीनों स्वस्थ हो चुके हैं। - डा. सुधाकर पांडेय, सीएमओ।
एक पैथोलाजी में रोज तीन-चार मरीज डेंगू की जांच कराने आ रहे हैं। जो भी रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है, उसकी सूचना सीएमओ कार्यालय को भेजी जा रही है। ज्यादातर लोग रैपिड जांच ही करा रहे हैं। एलाइजा जांच बहुत कम हो रही है। यदि कोई पैथोलाजी सूचना नहीं दे रही है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार स्वास्थ्य विभाग को है। - डा. मंगलेश श्रीवास्तव, सचिव, पैथोलाजी एसोसिएशन।
एक चम्मच साफ पानी से भी पनप सकते हैं मच्छर
सीएमओ ने कहा कि एक चम्मच साफ पानी में भी डेंगू के मच्छर पनप सकते हैं। इसलिए सावधानी बरतें। कहीं भी साफ पानी जमा न होने दें। डेंगू का मौसम शुरू हो चुका है। बचाव, उपचार से बेहतर है, इसलिए कूलर, गमले, फ्रीज ट्रे, टायर, ट्यूब, नाद आदि हर छोटी-बड़ी जगह की जांच कर लें, कहीं भी पानी इकट्ठा हो तो उसे हटा दें।
डेंगू के लक्षण
त्वचा पर चकत्ते, तेज सिर दर्द, पीठ दर्द, आंखों में दर्द, तेज बुखार, मसूढ़ों से खून बहना, नाक से खून बहना, जोड़ों में दर्द, उल्टी, डायरिया।
स्वच्छता ही डेंगू से बचाव का उत्तम उपाय
यह डेंगू का समय चल रहा है। स्वच्छता ही इससे बचाव का उत्तम उपाय है। इस बीमारी के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए कहीं भी पानी जमा न होने दें। कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के पानी पीने का बर्तन, फ्रिज की ट्रे आदि को हमेशा साफ करते रहने की जरूरत है। मच्छरदानी लगाकर सोएं। फुल पैंट-शर्ट पहनें।