कंटेनमेंट जोन के मरीजों का पूछा हाल

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट जग प्रवेश ने मिठवल विकास खंड के कंटेनमेंट जोन व सीएचसी तिलौली का निरीक्षण किया। कंटेनमेंट जोन में घर पर क्वारंटाइन मरीजों का हाल चाल जाना और उन्हें दवा किट मिली कि नहीं इसकी तहकीकात की और सावधानी बरतने की सलाह दी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 07:00 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 07:00 AM (IST)
कंटेनमेंट जोन के मरीजों का पूछा हाल
कंटेनमेंट जोन के मरीजों का पूछा हाल

सिद्धार्थनगर : ज्वाइंट मजिस्ट्रेट जग प्रवेश ने मिठवल विकास खंड के कंटेनमेंट जोन व सीएचसी तिलौली का निरीक्षण किया। कंटेनमेंट जोन में घर पर क्वारंटाइन मरीजों का हाल चाल जाना और उन्हें दवा किट मिली कि नहीं इसकी तहकीकात की और सावधानी बरतने की सलाह दी।

पहले वह मिठवल ब्लाक के कंटेनमेंट जोन असनहरा गए। यहां संक्रमित लोगों के स्वजन से बातचीत कर खानपान की व्यवस्था जानी। कटबंध में दवा आदि की उपलब्धता के बारे में पूछा। ग्राम प्रधानों को निर्देशित किया सभी संक्रमितों के खानपान व सुरक्षा के प्रति सजगता दिखाएं। सीएचसी तिलौली का निरीक्षण करते संक्रमित मरीजों व जांच रिपोर्ट के बारे में जानकारी ली। अधीक्षक डा. ब्रजेश शुक्ला से व्यवस्था गत खामियों के बारे में पूछा। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट जग प्रवेश ने कहा कि मरीजों के उपचार में किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए यदि कोई समस्या आती है तो तत्काल सूचित करें। इस दौरान सीओ अरुण चंद, डिड़ई चौकी प्रभारी भानू प्रताप सिंह आदि मौजूद रहे। नहीं हारी हिम्मत, कोरोना को किया पराजित सिद्धार्थनगर : चुनाव प्रशिक्षण लेने के बाद घर पर आईं तो दो दिन बाद तीन वर्षीय बेटे आबिश की तबीयत खराब हो गई। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बच्चे का पीसीआर भेजा। 16 अप्रैल को रिपोर्ट पाजिटिव आई। जांच टीम घर पर आई, उनका नमूना लिया तो रिपोर्ट उनकी भी पाजिटिव आ गई। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। एक समय तो घबरा गई, रोना आ रहा था। मन किया नौकरी ही छोड़ दें। मासूम बच्चे के साथ खुद भी पाजिटिव थीं। घर वालों ने हौसला दिया, आरआर टीम ने भी समझाया। हिम्मत बंधी तो बेटे के साथ होम आइसोलेट हो गई। अब मां-बेटे दोनों स्वस्थ हैं, रिपोर्ट निगेटिव आई। फिर से अस्पताल में ड्यूटी भी ज्वाइन कर ली।

यह कोरोना योद्धा हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इटवा में तैनात वरिष्ठ प्रयोगशाला पर्यवेक्षक सुजाला मिश्रा। मुश्किल दौर में इन्होंने खुद के साथ बच्चे का ख्याल रखा। पल्स आक्सीमीटर व थर्मल स्कैनर अपने पास रखी, अपना व बच्चे की नियमित जांच करती रहीं। दवा के अलावा गर्म पानी से गरारा करतीं और काढ़ा पीतीं। समय-समय पर योगा भी करती रहीं। नतीजा यह रहा कि मां-बेटे दोनों ने स्वस्थ होकर कोरोना को पराजित किया।

chat bot
आपका साथी