गोरखपुर में सेटेलाइट से होगी पराली की निगरानी
रिमोट सेंसिंग सेंटर को सेटेलाइट से निगरानी करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सेटेलाइट के जरिए रिमोट सेंसिंग सेंटर आसानी से इस बात का पता लगा लेगा कि किस देशांतर और अंक्षाश पर पराली जलाई जा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। किसान भाइयों, रोक के बावजूद यदि पराली जलाने के बारे में सोच रहे हैं तो सावधान हो जाएं। इसकी निगरानी सेटेलाइट से की जा रही है। खेत में यदि पराली जलाएंगे तो पकड़ा जाना तय है। भले ही पराली जलाने के बाद खेत की जुताई ही क्यों न करा दें। पराली जलाने पर किसान के विरुद्ध मुकदमा तो दर्ज होगा ही, फसल की कटाई करने वाले कंबाइन हार्वेस्टर संचालक पर भी मुकदमा होना तय है। जुर्माना भी लगाया जाएगा। इसलिए पराली जलाने का ख्याल छोड़ दें और उसका निस्तारण करने का प्रबंध करें।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है रोक
बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय ने पराली जलाने पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है। अदालत के आदेश का पालन कराने के लिए जिला प्रशासन हर संभव कदम उठा रहा है। इसके लिए जहां एक तरफ किसानों को जागरूक किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ फसल अवशेष का निस्तारण करने वाले यंत्रों के साथ ही कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई करना अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ ही पराली जलाने से रोकने और जलाने वालों पर कार्रवाई करने के लिए तहसील और थाने स्तर पर तहसीलदार और नायब तहसीलदार के नेतृत्व में अलग-अलग समितियां भी गठित की गई हैं। इतना ही सेटेलाइट के जरिए भी निगरानी की जा रही है।
जांच कराने के बाद दर्ज होगा मुकदमा
रिमोट सेंसिंग सेंटर को सेटेलाइट से निगरानी करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सेटेलाइट के जरिए रिमोट सेंसिंग सेंटर आसानी से इस बात का पता लगा लेगा कि किस देशांतर और अंक्षाश पर पराली जलाई जा रही है। इसकी सूचना जिला प्रशासन को भेजी जाएगी। बाद में जिला प्रशासन जांच कराकर सूचना की पुष्टि कराने के बाद पराली जलाने वाले किसान और फसल काटने वाले कंबाइन हार्वेस्टर संचालक पर मुकदमा दर्ज करने के साथ ही जुर्माना वसूलने की कार्रवाई करेगा। उप कृषि निदेशक संजय सिंह ने बताया कि पराली जलाने पर कड़ी कार्रवाई होना तय है। शासन भी इसको लेकर काफी सख्त है। किसी भी कीमत पर किसान पराली न जलाएं, बल्कि उसके निस्तारण के दूसरे तरीके अपनाएं। पराली कटवाकर गोशालाओं में दान भी कर सकते हैं।