अत्‍यधिक वर्षा से धान की फसल पर अब हल्दिया रोग की मार, पैदावार कम होने की आशंका

कुशीनगर जिले में धान की अच्छी पैदावार की उम्मीद पाले किसानों के अरमानों पर अतिवृष्टि ने तुषारापात कर दिया है। अध्‍यधिक वर्षा की वजह से फसल हल्दिया रोग की चपेट में आ गई है। दूसरी तरफ मवेशियों के लिए चारे का संकट भी खडा हो गया है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 06:33 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 06:33 PM (IST)
अत्‍यधिक वर्षा से धान की फसल पर अब हल्दिया रोग की मार, पैदावार कम होने की आशंका
अत्‍यधिक वर्षा से धान की फसल पर अब हल्दिया रोग की मार। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कुशीनगर जिले में धान की अच्छी पैदावार की उम्मीद पाले किसानों के अरमानों पर अतिवृष्टि ने तुषारापात कर दिया है। अध्‍यधिक वर्षा की वजह से फसल हल्दिया रोग की चपेट में आ गई है। अक्टूबर के तीसरे सप्ताह की शुरुआत में तेज हवा के साथ चार दिनों तक हुई मूसलधार बारिश ने धान की फसल पर जमकर कहर बरपाया। प्रकृति के प्रकोप से बच गए खेतों में धान की बालियों में हल्दिया रोग का तेजी से संक्रमण हो रहा है।

काली पड रही हैं रोक से प्रभावित फसल की बाली

धान के दानों पर पीले रंग का अंडानुमा आकृति बन रही है जो तेज से फैल रही है। बीमारी से प्रभावित बालियां काली होकर नष्ट हो जा रही हैं। क्षेत्र के सिंगहा, अमवां बुजुर्ग, तेतरिया, तेजवलिया, धनौजी, बेलवा आदि गांवों में यह बीमारी बहुतायत मात्रा में देखी जा रही है। हवा चलने के साथ धान की बालियों से हल्दी के पाउडर की तरह पदार्थ उड़ रहा है। खेत में घुसने पर पीले-पीले धब्बे पड़ जा रहे है।

रोग की वजह से लागत निकलनी मुश्किल

किसानों का कहना है कि लागत निकलना तो दूर इस साल पेट भरना मुश्किल हो जाएगा। कृषि मामलों के जानकार विनोद त्रिपाठी बताते हैं कि हल्दिया प्रभावित धान के खेतों में हेक्साकोना जोल तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में और 505 डेढ़ ग्राम प्रति लीटर के अलावा स्ट्रेक्टोसाइक्लीन का समय से छिड़काव कराने पर इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

बारिश की मार से खड़ा होगा चारा का संकट

इस साल बारिश की मार किसानों के साथ-साथ मवेशियों को भी झेलनी पड़ेगी। जलभराव की वजह से खेतों में पुआल सड़ जाएगा। कुछ किसान केवल धान की बालियां काटकर अनाज निकालने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में चारे की व्यवस्था करने में पशुपालकों को दिक्कत झेलनी पड़ेगी। सिंगहा गांव के ज्ञानेंद्र शाही के पास पांच मवेशी हैं। उनका कहना है कि मौसम के कहर से मवेशियों के चारे का संकट खड़ा हो गया है। गेहूं का भूसा इस समय नौ सौ रुपये क्विंटल मिल रहा है। घर तक लाने में ग्यारह सौ रुपये पड़ जा रहा है।

धान के पुआल से हो जाता था चारे का इंतजाम

धान के सीजन में पुआल से कुछ राहत मिल जाती थी। मृत्युंजय त्रिपाठी ने बताया कि इस साल प्रकृति की बेरुखी से धान भी चौपट हो गया और पशुओं का चारा भी, गन्ने की पत्तियां भी सूख गई हैं। मठिया धीर गांव के पशुपालक सुरेंद्र प्रसाद गोपाल ने कहा कि अधिक बारिश से जबरदस्त नुकसान हुआ है। खेत से पुआल निकल नहीं रहा है, गन्ना भी सूख गया है। किसी तरह काम चलाया जा रहा है, मवेशियों को भर पेट चारा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। कठिनहिया गांव के भूलन पटेल ने बताया कि मेरे पास 11 मवेशी हैं। अतिवृष्टि से धान व गन्ने की फसल डूब गई है। भूसा भी नहीं है, चारे के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है। रामअवध यादव, श्यामलाल यादव आदि भी चारा की समस्या को लेकर चिंतित हैं।

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