तैयार की जाएगी जैविक खाद, किसानों को मिलेगा लाभ

क्षेत्रीय किसानों के लिए अछी खबर है। अब न केवल वह जैविक खाद बनाने का तरीका सीख सकेंगे बल्कि उत्पादन करके दूसरे इलाकों में भी इसकी आपूर्ति कर सकेंगे। यह इसलिए संभव होगा कि कृषि विज्ञान केंद्र सोहना जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की ओर से बायोटेक परियोजना मिली है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 06:15 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 06:15 AM (IST)
तैयार की जाएगी जैविक खाद, किसानों को मिलेगा लाभ
तैयार की जाएगी जैविक खाद, किसानों को मिलेगा लाभ

सिद्धार्थनगर : क्षेत्रीय किसानों के लिए अच्छी खबर है। अब न केवल वह जैविक खाद बनाने का तरीका सीख सकेंगे, बल्कि उत्पादन करके दूसरे इलाकों में भी इसकी आपूर्ति कर सकेंगे। यह इसलिए संभव होगा कि कृषि विज्ञान केंद्र सोहना जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की ओर से बायोटेक परियोजना मिली है। जिसमें कृषि विज्ञानी स्थानीय केंद्र पर जैविक खाद बनाने के तरीके के साथ किसानों के घरों पर भी जाकर उनको इसकी विधि बताएंगे।

सोहना स्थित केंद्र पर भारतीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव कुशमौर मऊ के सहयोग से किसान बायोटेक परियोजना का संचालन इस वर्ष से किया जाएगा। इस परियोजना के सफल संचालन करने के लिए कृषि विज्ञानी डा. प्रदीप कुमार एवं डा. शेष नारायण सिंह को सह-प्रधान शोधकर्ता बनाए गए हैं। परियोजना की प्रधान शोकर्ता मऊ की वरिष्ठ विज्ञानी डा. रेनू हैं। सभी के बीच परियोजना के विषय में विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। डा. प्रदीप कुमार ने बताया कि इस परियोजना के माध्यम से सर्वप्रथम 75 किसानों को जैविक खाद उत्पादन के लिए जोड़ा जाएगा। जैविक खाद उत्पादन किट प्रदान करते हुए इन्हें केंद्र पर प्रशिक्षित किया जाएगा। खेत से जो भी अवशेष इधर-उधर फेंक दिए जाते हैं, उन्हीं को सड़ा व लगाकर जैविक खाद बनाई जाएगी। इससे खेतों में यूरिया व डीएपी की मात्रा कम लेगी, लागत कम लगेगी और उत्पादन बेहतर होगा। डा. शेष नारायण ने बताया कि इस परियोजना का उपयोग किसान जैविक खेती में बहुत अच्छे तरीके से कर सकते हैं। जैविक खाद उत्पादन करके अपने गांव, जनपद अपितु दूसरे शहरों में भी जैविक खाद बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। डा. रेनू ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य किसानों को एक सफल उद्यमी बनाने तथा प्राकृतिक खेती की तरफ उनका रुझान पैदा करना है। वरिष्ठ विज्ञानी डा. एलसी वर्मा ने बताया परियोजना जिले के किसानों के लिए एक वरदान साबित होगी।

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