Sawan 2021: शिव मंदिरों में उमड़ी आस्था, गोरखपुर में इन स्थानों पर करें जलाभिषेक
Sawan 2021 सावन का महीना रविवार से शुरू हो रहा है। पहले दिन शिव मंदिरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ेंगे। भोले बाबा का जलाभिषेक कर उनके चरणों में अपनी आस्था व श्रद्धा अर्पित करेंगे। घंटा-घड़ियाल व जयघोष से वातावरण गूंजेगा।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। भगवान शिव का महीना सावन रविवार से शुरू हो रहा है। पहले दिन शिव मंदिरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ेंगे। भोले बाबा का जलाभिषेक कर उनके चरणों में अपनी आस्था व श्रद्धा अर्पित करेंगे। घंटा-घड़ियाल व जयघोष से वातावरण गूंजेगा। मंदिरों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। श्रद्धालुओं के सहयोग के लिए स्वयं सेवक तैयार किए गए हैं।
शिव मंदिरों में हुई विशेष तैयारी
पिछले साल कोरोना संक्रमण के चलते सावन में शिव मंदिर बंद रहे। इस बार झारखंडी शिव मंदिर, मुक्तेश्वर नाथ शिव मंदिर, मान सरोवर आदि शिव मंदिरों में कोरोना को देखते हुए विशेष तैयारी की गई है। परिसर सैनिटाइज कराए गए। मंदिर प्रशासन ने स्वयं सेवकों की टीम तैयार की है, ताकि श्रद्धालुओं का सहयोग किया जा सके। उन्हें शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा तथा कोविड प्रोटोकाल का पालन कराते हुए दर्शन-पूजन कराया जाएगा। शनिवार को सभी मंदिरों में सफाई-धुलाई का काम दिन भर चला।
सावन में पड़ेंगे चार सोमवार
सावन का महीना 25 जुलाई से शुरू होकर 22 अगस्त तक चलेगा। अंतिम दिन रक्षाबंधन पर्व बनाया जाएगा। इस माह में चार सोमवार पड़ेंगे। सावन के साेमवार को श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ उमड़ती है। महाशिवरात्रि जैसा माहौल होता है।
यहां भी होगा जलाभिषेक
सम्मय माता मंदिर, तुर्कमानपुर
बगहा बाबा मंदिर, रुस्तमपुर
शिव मंदिर, छोटे काजीपुर
शिव मंदिर, धर्मशाला
सती माता मंदिर, सूरजकुंड
शिव मंदिर, सूरजकुंड धाम
शिव मंदिर, जटाशंकर
मंजेश्वरनाथ, भौवापार
शिव मंदिर, भरवलिया
हनुमान मंदिर, बेतियाहाता
शिव मंदिर, शिवपुरी
शिव मंदिर, बड़े काजीपुर
सावन के सोमवार
26 जुलाई को पहला
02 अगस्त को दूसरा
09 अगस्त को तीसरा
16 अगस्त को चौथा
ऐसे करें पूजन
ज्योतिषाचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र, पं. राकेश पांडेय व पं. नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार श्रावण मास में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नादि से निवृत्त होकर शिवालय जाएं। पंचाक्षरी मंत्र (ऊं नम: शिवाय) के साथ दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पंचामृत, इत्र, फलों के रस, गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें। इसके बाद फूल, दूर्वा, बिल्वपत्र, धतूर, भांग आदि अर्पित करने के बाद मिष्ठान व फलों से भोग लगाएं। श्रीफल भेंट करने के बाद धूप-दीप से आरती करें।