अब 44 बीमारियों के बाल मरीजों को ढूंढेगी मेडिकल टीम Gorakhpur News

टीबी का उन्मूलन भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। टीम को बच्चों की टीबी का पता लगाने के लिए विशेष तौर पर फोकस होकर काम करने को कहा गया है।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sat, 21 Sep 2019 06:19 PM (IST) Updated:Sat, 21 Sep 2019 09:00 PM (IST)
अब 44 बीमारियों के बाल मरीजों को ढूंढेगी मेडिकल टीम Gorakhpur News
अब 44 बीमारियों के बाल मरीजों को ढूंढेगी मेडिकल टीम Gorakhpur News

 गोरखपुर, जेएनएन। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत काम करने वाली जनपद की 38 मेडिकल टीम अब 44 प्रकार की बीमारियों की स्क्रिनिंग कर बाल मरीजों का इलाज कराएंगी। टीबी और कुष्ठ रोग समेत 6 नयी बीमारियों को ढूंढने और इलाज करवाने के लिए टीम के सभी सदस्यों को दो अलग-अलग बैच में प्रेरणा श्री सभागार में शनिवार को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डा. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि फिलहाल 38 बीमारियों को चिन्हित कर बीमार बच्चों का इलाज करवाया जाता है।

इस उम्र तक के बच्‍चों की बीमारियों की होगी स्क्रिनिंग

 सीएमओ ने बताया कि योजना से जुड़ी टीम शून्य से 18 वर्ष तक की आयुसीमा के आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में आने वाले बच्चों में इन बीमारियों की स्क्रिनिंग करती हैं और प्रभावित बच्चों का इलाज कराती हैं। टीबी का उन्मूलन भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। टीम को बच्चों की टीबी का पता लगाने के लिए विशेष तौर पर फोकस होकर काम करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि जिले के प्रत्येक ब्लाक में कार्य रही आरबीएसके टीम में दो चिकित्सक, एक स्टाफ नर्स और एक पैरामेडिकल स्टाफ प्रतिदिन किसी स्कूल या आंगनबाड़ी केंद्र पर जाते हैं और वहां मौजूद बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करते हैं।

सभी तरह की जांच और दवाएं निश्‍शुल्‍क

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नंद कुमार ने बताया कि आरबीएसके योजना के तहत बच्चों को जांच, दवा और इलाज की सभी सुविधाएं निशुल्क दी जाती हैं। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-2019 में योजना के तहत 6 सप्ताह से तीन साल तक के 58,128 जबकि 3 साल से 6 साल तक के 1,08,445 और 6 साल से 18 साल तक के 2,16,389 बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी। इनमें से 147 बच्चों की अगल-अलग प्रकार की सर्जरी करायी गयी। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा. एके प्रसाद व उनकी टीम के डा. भोला गुप्ता व मो. आसिफ ने जबकि जिला क्षय रोग विभाग से उप जिला क्षय रोग अधिकारी डा. विराट स्वरूप व उनकी टीम के डा. सुनील, धर्मवीर प्रताप सिंह और एएन मिश्रा ने आरबीएसके टीम को प्रशिक्षित किया।

अभी इन बीमारियों का हो रहा है इलाज

आरबीएसके की डीईआईसी मैनेजर डा. अर्चना ने बताया कि योजना के तहत न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, डाउन सिंड्रोम, क्लफ्ट लीफ एंड पैलेट (कटा होठ व तालू), क्लब फुट (टेढ़े-मेढ़े पैर), डेवलपमेंट डिस्प्लेजिया आफ हिप, कंजेनाइटल कट्रैक्ट(जन्मजात मोतियाबिंद), कंजेनाइटल डीफनेस (जन्मजात बहरापन), कंजेनाइटल हार्ट डिजीज, रेटिनोपैथी आफ प्रीमेच्योरिटी, एनीमिया, विटामिन ए की कमी, रिकेट्स, अति कुपोषण, घेंघा, चर्म रोग, ओटाइटिस मीडिया (कान बहना), रुमैटिक हार्ट डिजीज, रिएक्टिव एयरवे, डेंटल कंडीशन, कंवर्जन डिसआर्डर, विजन इंपेरिमेंट (आंख से जुड़ी समस्याएं), हियरिंग इंपेरिमेंट (कान से जुड़ी दिक्कतें), न्यूरोमोटर इंपेरिमेंट, मोटर डिले, कांग्नीटिव डिले, स्पीच एंड लैंग्वेज डिले, विहैबियर डिसआर्डर, लर्निंग डिसआर्डर, अटेंशन डिफीसीट हाइपर एक्टिविटी डिसआर्डर, ग्रोइंग अप कंसर्न, सबस्टेंस एब्यूज, फील डिप्रैस्ड, किशोरियों के मासिक धर्म में देरी, मासिक धर्म के दौरान पेशाब में जलन, मासिक धर्म के दौरान दर्द, पानी आना व बच्चों और किशोरों की अन्य बीमारियों को चिन्हित कर उसका इलाज किया जाता है।

मिली नयी बीमारियों की जानकारी

प्रशिक्षण के प्रतिभागी ब्रह्मपुर ब्लाक के आरबीएसके टीम बी के चिकित्सक डा. मो. फिरोज ने बताया कि बच्चों में टीबी, कुष्ठ, सीविअर स्टंटिंग, विटामिन बी काम्प्लैक्स की कमी, माइक्रोसिफ्ली और मैक्रोसिफ्ली जैसी बीमारियों का पता लगाने के बारे में प्रशिक्षित किया गया है। चरगांवा के आरबीएसके टीम ए के चिकित्सक डा. वीके सिंह ने बताया कि बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी मिली है। यहीं से टीम बी की  पैरामेडिकल गरिमा ने बताया कि नयी बीमारियों की रिपोर्टिंग के फार्मेट के बारे में भी अच्छी जानकारी दी गयी है।

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