अब फिजिशियन, आंख, हड्डी, सर्जन व मानसिक रोग विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर ही जारी होगा मेडिकल सर्टिफिकेट

सीएमओ कार्यालय से बिना जांच के मेडिकल सर्टिफिकेट जारी होने की सूचना पर सीएमओ ने व्यवस्था सुधार का निर्देश दिया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि बिना जांच के किसी भी व्यक्ति का मेडिकल सर्टिफिकेट न बनाया जाए।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 02:03 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 02:03 PM (IST)
अब फिजिशियन, आंख, हड्डी, सर्जन व मानसिक रोग विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर ही जारी होगा मेडिकल सर्टिफिकेट
अब फिजिशियन, आंख, हड्डी, सर्जन व मानसिक रोग विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर ही जारी होगा मेडिकल सर्टिफिकेट। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सीएमओ कार्यालय से बिना जांच के मेडिकल सर्टिफिकेट जारी होने की सूचना पर सीएमओ ने व्यवस्था सुधार का निर्देश दिया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि बिना जांच के किसी भी व्यक्ति का मेडिकल सर्टिफिकेट न बनाया जाए। फिजिशियन, आंख, हड्डी, सर्जन व मानसिक रोग विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद ही सर्टिफिकेट जारी करें।

नई नियुक्तियों व स्‍कूलों में नामांकन के समय मांगा जाता है सर्टिपिफकेट

सभी नई नियुक्तियों व स्कूलों में नामांकन के समय मेडिकल सर्टिफिकेट की मांग की जा रही है। इस वजह से सीएमओ कार्यालय पर यह सर्टिफिकेट बनवाने वालों की लाइन लग रही है। ऐसे में दलालाें की चांदी हो गई है। भीड़ इतनी ज्यादा है कि कर्मचारी अभ्यर्थियों को तीन दिन बाद बुला रहे हैं। ऐसे में दलाल एक-एक अभ्यथी से दो-दो सौ रुपये लेकर उन्हें उसी दिन सर्टिफिकेट भी दे दे रहे हैं। जिस पर संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर रहते हैं।

बिना जांच के ही सर्टिफिकेट जारी करा दे रहे दलाल

इतना ही नहीं, दलाल को दौ सो रुपये देने के बाद अभ्यर्थी को किसी डाक्टर पास जाना भी नहीं पड़ रहा है। सारी रिपोर्ट कर्मचारी लगवा रहे हैं। बिना जांच कराए लोगों को मेडिकल सर्टिफिकेट आसानी से मिल जा रहा है। इस तरह की शिकायत मिलने पर सीएमओ डा.सुधाकर पांडेय सख्त हुए हैं। उन्होंने संबंधित कर्मचारियों को बुलाकर व्यवस्था दुरुस्त करने का निर्देश दिया है। यह भी कहा है कि यदि इस तरह की कोई शिकायत मिली तो जांच के बाद संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

कर्मचारियों की जगह बैठाए गए सहायक शोध अधिकारी

जिस काउंटर से मेडिकल सर्टिफिकेट का फार्म दिया और भरवाया जाता है। अब वहां से कर्मचारियों को हटाकर सहायक शोध अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दे दी गई। वे अपनी निगरानी में फार्म भरवाकर संबंधित डाक्टर के पास अभ्यर्थी को भेज रहे हैं। सभी जगहों से आई रिपोर्ट के आधार पर ही मेडिकल सर्टिफिकेट बना रहे हैं।

लगातार की जाएगी निगरानी

सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय ने बताया कि बीच में कुछ शिकायत आई थीं कि बिना जांच के मेडिकल सर्टिफिकेट बन रहा है। इसके बाद व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई। इसकी लगातार निगरानी की जा रही है। कुछ गलत नहीं होने पाएगा।

chat bot
आपका साथी