अब डिग्री कालेज के स्नातक शिक्षक भी करा सकेंगे शोध, विद्या परिषद ने दी मंजूरी
अब गोरखपुर विश्वविद्यालय और उससे सम्बद्ध् डिग्री कालेजों में पार्ट टाइम पीएचडी करने की सुविधा भी मिलेगी। यह सुविधा पाने के लिए इच्छुक शोधार्थी को अपनी संस्था से एनओसी लेनी होगी। पार्ट टाइम शोध करने वाले शोधार्थी विश्वविद्यालय या कालेज से किसी तरह की फेलोशिप के पात्र नहीं माने जाएंगे।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शोध कराने के अधिकार की मांग करने वाले डिग्री कालेज के स्नातक शिक्षकों के लिए यह बड़ी खुशखबरी है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की विद्या परिषद ने इसकी मंजूरी दे दी है। कार्य परिषद की मुहर लगने के बाद डिग्री कालेज के शिक्षकों को यह अधिकारी प्राप्त हो जाएगा। विद्या परिषद ने पीएचडी को लेकर एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इस फैसले के मुताबिक अब गोरखपुर विश्वविद्यालय और उससे सम्बद्ध् डिग्री कालेजों में पार्ट टाइम पीएचडी करने की सुविधा भी मिलेगी। यह सुविधा पाने के लिए इच्छुक शोधार्थी को अपनी संस्था से एनओसी लेनी होगी। पार्ट टाइम शोध करने वाले शोधार्थी विश्वविद्यालय या कालेज से किसी तरह की फेलोशिप के पात्र नहीं माने जाएंगे।
पार्ट टाइम पीएचडी कर सकेंगे इच्छ़ुक शोधार्थी
विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक विद्या परिषद के इस फैसले पर अंतिम मुहर लगाने के लिए सोमवार को कार्य परिषद की बैठक बुलाई गई है। कार्य परिषद की स्वीकृति मिलने के बाद यह नया नियम लागू हो जाएगा। विद्या परिषद में शोध से जुड़े यह सभी प्रस्ताव रिसर्च डिग्री कमेटी की ओर से रखे गए। प्रस्ताव के माध्यम से परिषद को बताया गया कि पार्ट टाइम पीएचडी करने वाले शोधार्थी को शोध के लिए अधिकतम आठ वर्ष मिलेंगे जबकि इसका न्यूनतम समय चार वर्ष निर्धारित किया गया है। शोध के दौरान अभ्यर्थी को अवकाश भी दिया जाएगा। गर्मी की छुट्टी के अलावा उन्हें 15 दिन का अतिरिक्त अवकाश भी मिलेगा। महिला अभ्यर्थी या दिव्यांग (40 फीसदी या इससे अधिक) को अधिकतम शोध समय में भी दो वर्ष की छूट दी जाएगी। महिला शोधार्थी को शोध अवधि के दौरान 240 दिन का प्रसव अवकाश व बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टी का प्रावधान में रखा जा रहा है।
जेआरएफ व सीएसआइआर को रेट से छूट
यूजीसी की जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और काउंसिल आफ साइंटफिक एंड इंड्रस्टियल रिसर्च (सीएसआईआर) की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को विश्वविद्यालय की शोध पात्रता परीक्षा (रेट) से छूट दी गई है। 2016 में अध्यादेश में बदलाव कर इनके लिए भी रेट देना अनिवार्य किया गया था। इसकी वजह से विश्वविद्यालय के बहुत से जेआरएफ अभ्यर्थियों ने इसे अपनी तौहीन समझते हुए दूसरे विश्वविद्यालयों में प्रवेश ले लिया था।
यूजीसी की गाइड लाइन के मुताबिक नया शोध अध्यादेश तैयार किया गया है। इसमें विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेज में पार्ट टाइम पीएचडी को शामिल किया है। फुल टाइम व पार्ट टाइम पीएचडी में समय को लेकर अनियमितता न हो इसका भी ख्याल रखा गया है।
डिग्री कालेज के शिक्षकों को शोध कराने का अधिकार देने पर भी विद्या परिषद में सहमति बनी है। सोमवार को कार्य परिषद में इन सभी प्रस्तावों को रखा जाएगा। - प्रो. राजेश सिंह, कुलपति, दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय।