अब भौतिक साक्ष्यों की भी जांच करेगा एफएसएल गोरखपुर, बदमाशों को सजा दिलाने में मिलेगी मदद
गोरखपुर में स्थापित विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में जांच शुरू होने से रिपोर्ट तो जल्द आएगी ही अपराधी को सजा दिलाने में भी आसानी होगी। भौतिक साक्ष्यों की सर्वाधिक जांच वाहन चोरी से संबंधित मामलों की होती है। वाहन की बरामदगी के बाद चेचिस व इंजन नंबर जानना होता है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। किसी भी आपराधिक घटना से जुड़े भौतिक साक्ष्यों की जांच के लिए जोन के 11 जिलों की पुलिस को वाराणसी नहीं जाना होगा। गोरखपुर में स्थापित विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में जांच शुरू होने से रिपोर्ट तो जल्द आएगी ही अपराधी को सजा दिलाने में भी आसानी होगी।
हत्या व वाहन चोरी की घटना का पर्दाफाश करने में मिलेगी मदद
भौतिक साक्ष्यों की सर्वाधिक जांच वाहन चोरी से संबंधित मामलों की होती है। वाहन की बरामदगी के बाद वाहन का चेचिस व इंजन नंबर जानना होता है। केमिकल से एफएसएल की टीम इसका पता लगाती है। एफएसएल गोरखपुर में यह सेवाएं शुरू होने से पुलिस जल्द वाहन चोरों पर शिकंजा कस सकेगी। एफएसएल टीम का कहना है कि भौतिक साक्ष्यों की जांच से सिर्फ वाहन चोरी की घटनाओं में ही नहीं बल्कि हत्याओं के पर्दाफाश में भी मदद मिलेगी। अक्सर हत्या कर बदमाश शव को फंदे से लटका देते हैं। कई बार ऐसा होता है कि बदमाश जिस रस्सी से शव को फांसी पर लटकाता है, उसका कुछ हिस्सा कहीं और से बरामद होता है। भौतिक साक्ष्यों की जांच से पुलिस को अपराधी के पकडऩे व उसे सजा दिलाने में मदद मिलती है। इसके अलावा भी अन्य कई मामलों का पर्दाफाश भौतिक साक्ष्यों की जांच से होता है।
उद्घाटन से पूर्व 300 से अधिक मामलों की हो चुकी है जांच
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विशेष प्रयास से स्थापित एफएसएल की रिपोर्ट से अपराधियों को पकडऩे व उन्हें सजा दिलाने में पुलिस को बड़ी सफलता मिलने लगी है। इसका प्रमाण है कि बहराइच के नानपारा में 22 जून को डेढ़ वर्षीय मासूम के साथ युवक ने दुष्कर्म किया। इस मामले में एफएसएल की टीम ने चार दिन के भीतर ही बहराइच पुलिस को डीएनए जांच रिपोर्ट भेज दी। इससे आरोपित को सजा दिलाने में मदद मिली। बहराइच पुलिस ने 28 दिनों में चार्जशीट दाखिल कर दी और न्यायालय ने 55 वें दिन आरोपित को फांसी की सजा सुना दी। अभी एफएसएल का उद्घाटन नहीं हुआ है, फिर भी जीवविज्ञान, रक्तविज्ञान व डीएनए से संबंधित 800 से अधिक नमूने जांच के लिए आ चुके हैं। इसमें 300 से अधिक मामलों की जांच रिपोर्ट भी भेजी जा चुकी है।
अभी कम है वैज्ञानिक व कर्मचारियों की संख्या
एफएसएल गोरखपुर के उप निदेदशक सुरेश चंद्रा बताते हैं कि अभी यहां वैज्ञानिक व कर्मचारियों की संख्या कम है। संख्याबल पर्याप्त होने पर एफएसएल और बेहतर नतीजे देगा। मुख्यालय से अन्य कर्मचारियों की मांग की गई है।