अब मदरसे में पढना नहीं चाहते बच्चे, जानें-क्या है कारण
हर साल जितने परीक्षार्थी आवेदन करते हैं उसमें से भी तकरीबन 20 फीसद छात्र-छात्राएं परीक्षा देने नहीं पहुंचते हैं। साल दर साल परीक्षार्थियों की घटती संख्या ने मदरसा के प्रधानाचार्य शिक्षक एवं प्रबंधन के चेहरे पर शिकन ला दिया है।
गोरखपुर, जेएनएन। अनुदानित एवं गैर अनुदानित मदरसों में पढऩे वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार घट रही है। पहले की तरह न तो अभिभावक भी अपने बच्चों को मदरसे में पढ़ाना चाहते हैं और न ही बच्चे मदरसे में पढऩे को लेकर रुचि दिखा रहे हैं। आंकड़ें बताते हैं कि पांच सालों में मदरसा बोर्ड द्वारा संचालित सेकेंड्री (मुंशी व मौलवी), सीनियर सेकेंड्री (आलिम), कामिल और फाजिल के परीक्षार्थियों की संख्या 70 फीसद तक कम हो गई है। मार्च-अप्रैल में होने वाली परीक्षा के लिए मदरसा शिक्षा पोर्टल पर महज 1655 परीक्षार्थियों ने आनलाइन आवेदन भरे हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1972 था।
बच्चों की घटती संख्या से स्कूल प्रबंधन परेशान
हर साल जितने परीक्षार्थी आवेदन करते हैं उसमें से भी तकरीबन 20 फीसद छात्र-छात्राएं परीक्षा देने नहीं पहुंचते हैं। साल दर साल परीक्षार्थियों की घटती संख्या ने मदरसा के प्रधानाचार्य, शिक्षक एवं प्रबंधन के चेहरे पर शिकन ला दिया है। उनकी कोशिशों के बाद भी मदरसों में पढऩे वाले बच्चों की संख्या बढऩे की बजाए कम हो रही है। बच्चे मदरसे की परीक्षा देने के बजाए यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा देने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। बीते दो वर्षों से मदरसा बोर्ड एवं यूपी बोर्ड की परीक्षाएं लगभग एक ही समय पर हो रही है इसलिए दोनों बोर्ड से फार्म भरने वाले यूपी बोर्ड को तरजीह देते हैं।
सिर्फ इमाम और मौलवी बन सकते हैं मदरसों में पढ़ने वाले
पिछले साल मदरसे में अपने दो बच्चों का नाम कटवाकर प्राइवेट स्कूल में लिखवाने वाले रसूलपुर के मोहम्मद जाहिद का कहना है कि मदरसों से पढ़कर निकलने वाले छात्र सिर्फ मस्जिद के इमाम एवं मौलवी बन पाते हैं। मदरसा बोर्ड से मिलने वाले सर्टिफिकेट को भी मान्यता नहीं मिलती है। जिस कोर्स को छात्र को बीए और एमए समझकर करते हैं उसे अन्य बोर्ड या विश्वविद्यालय में इंटर स्तर तक ही माना जाता है, जबकि इस कोर्स को करने में पांच साल का वक्त लगता है। ऐसे में ब'चों का वक्त बर्बाद नहीं कर सकते। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया के प्रधानाचार्य हाफिज नजरे आलम ने बताया कि मदरसा बोर्ड के पाठ्यक्रम को मान्यता दिलाने के लिए अरबी-फारसी विश्वविद्यालय से बोर्ड के जिम्मेदार बात कर रहे हैं। अगर मान्यता जल्दी नहीं मिली तो छात्रों की संख्या और भी कम हो सकती है।
एक नजर आंकड़ों पर
परीक्षा वर्ष परीक्षार्थियों की संख्या
2016 6005
2017 4604
2018 3532
2019 2418
2020 1972
2021 1655