गोरखपुर खाद कारखाना यूरिया ही नहीं तालाब के पानी को भी पीने योग्‍य बनाएगा

एचयूआरएल प्रबंधन ने ज्यादा से ज्यादा पानी स्टोर करने के लिए चिलुआताल की काफी गहराई में खोदाई भी कराई है। रबर डैम के माध्यम से जरूरत का पानी खाद कारखाना परिसर में पहुंचाया जाएगा। यहां पानी को शुद्ध करने का संयंत्र लगाया जा रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 07:02 AM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 01:33 PM (IST)
गोरखपुर खाद कारखाना यूरिया ही नहीं तालाब के पानी को भी पीने योग्‍य बनाएगा
गोरखपुर खाद कारखाना तालाब के गंदे पानी को भी साफ करेगा। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वांचल की समृद्धि का प्रतीक बन रहे हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के खाद कारखाना में जल संरक्षण भी होगा। पानी की एक-एक बूंद को खाद कारखाना परिसर में सुरक्षित कर इस्तेमाल योग्य बनाया जाएगा। चिलुआताल के पानी को शुद्ध कर यूरिया बनाने के काम में ले आया जाएगा। इस प्रक्रिया में बचे पानी को फिर शुद्ध कर प्रयोग में ले आया जाएगा।

खाद कारखाना को प्रति घंटा 1450 क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता होगी। इसके लिए चिलुआताल के किनारे रबर डैम बनाया गया है। एचयूआरएल प्रबंधन ने ज्यादा से ज्यादा पानी स्टोर करने के लिए चिलुआताल की काफी गहराई में खोदाई भी कराई है। रबर डैम के माध्यम से जरूरत का पानी खाद कारखाना परिसर में पहुंचाया जाएगा। यहां पानी को शुद्ध करने का संयंत्र लगाया जा रहा है।

पानी को किया जाएगा डी मिनरलाइज्ड

खाद कारखाना में चिलुआताल के पानी को डी मिनरलाइज्ड किया जाएगा। इस प्रक्रिया में पानी में मौजूद कैल्शियम, क्लोराइड, सल्फेट, मैग्नीशियम और सोडियम को हटाया जाएगा।

नगर निगम से हुआ है करार

एचयूआरएल ने खाद कारखाना को पानी देने के लिए नगर निगम प्रशासन से पिछले साल जुलाई महीने में करार किया था। इसके तहत चिलुआताल का पानी लेने के लिए एचयूआरएल प्रबंधन हर साल नगर निगम को 77 हजार 450 रुपये देगा। खाद कारखाना के बगल में स्थित चिलुआताल नगर निगम की संपत्ति है। चिलुआताल का पानी खाद कारखाना को देने के लिए नगर निगम प्रशासन से एचयूआरएल को 30 साल का पट्टा किया है। 25 साल पूरा होने पर पट्टा का नवीनीकरण कराने की भी शर्त है।

19.15 एकड़ से दिया जाएगा पानी

चिलुआताल काफी बड़े क्षेत्रफल में फैला है लेकिन एचयूआरएल प्रबंधन ने 19.15 एकड़ से पानी लेने का करार किया है। रोहिन और राप्ती नदी का पानी आने से ताल में कभी पानी की कमी नहीं रहती है। बाढ़ के दिनों में राप्ती और रोहिन नदी में पानी से चिलुआताल पूरी तरह भर जाता है।

खाद कारखाना में जल संरक्षण का पूरा इंतजाम किया जा रहा है। चिलुआताल से आने वाला एक बूंद पानी भी बर्बाद नहीं होगा। पानी को रिसाइकल कर दोबारा इस्तेमाल मे लिया जाएगा। - सुबोध दीक्षित, वरिष्ठ प्रबंधक एचयूआरएल।

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