कुशीनगर में तीसरी लहर से निपटने के पर्याप्त इंतजाम नहीं
कुशीनगर में कोरोना से बचाव के लिए सरकार के निर्देश पर की जा रही तैयारियों का हाल बेहद खराब है एक तरफ विभाग का दावा है कि तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा रहा है वहीं तकनीशियनों के अभाव में उपलब्ध उपकरणों के संचालन तक की व्यवस्था नहीं है।
कुशीनगर : कोरोना की तीसरी लहर संभावित है। इसके लिए सरकार से लेकर स्वास्थ्य महकमा तक तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है, लेकिन अभी तक की तैयारियां सीएचसी कप्तानगंज के लिए पर्याप्त नहीं है। अस्पतालों पर न तो पर्याप्त दवाएं दिख रही हैं और न ही बच्चों के इलाज के लिए अलग से तैयारी ही है।
विभाग का दावा है कि तीन बेड का पीआइसीयू (नवजात बच्चों के देखभाल के लिए विशेष वार्ड) तैयार है, जो सभी सुविधाओं से लैस है। यहां सबसे बड़ी समस्या इस बात की है कि किसी को संचालन की तकनीकी जानकार नहीं है। यहां आक्सीजन प्लांट की सुविधा नहीं है। छोटे सिलिडर से मरीज को आक्सीजन दिया जाता है। दूसरी लहर में कोरोना का कहर होली के दौरान दूसरे प्रांतों से आए लोगों के कारण शुरू हुआ था। उस समय आए लोग त्रिस्तरीय पंचायत के साथ मतों की गणना तक रुके रहे। इस दौरान कोरोना प्रोटोकाल का गांवों में जमकर उल्लंघन हुआ, जिससे संक्रमण तेजी से फैला। उस समय आक्सीजन की किल्लत की वजह से काफी लोगों को जान गंवानी पड़ी थी।
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. एसके गुप्ता ने बताया कि बच्चों को तीन बेड के वार्ड के लिए पांच आक्सीजन सिलिडर की व्यवस्था की गई है। आक्सीजन मशीन, दवा, बेड को लेकर पीआइसीयू के प्रभारी डा. गोपाल मद्धेशिया को जरूरी निर्देश दिए गए हैं। अस्पताल परिसर में सभी कर्मचारियों का रात्रि विश्राम करने को कहा गया है। तीसरी लहर को रोकने के लिए अभी से सभी को जागरूक होना होगा। अपने बच्चों को घर से ना निकलने दें। बीमारी से बचाव के लिए कारगर उपाय है कि सदैव मास्क का प्रयोग करें।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं हैं संसाधन
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भड़सर, बोदरबार, मंसूरगंज, बलुआ़ं में संभावित लहर को लेकर कोई तैयारी नहीं दिख रही है। यहां तक कि प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है। ऐसे में संभावित लहर से निपटना आसान न होगा।
सीएमओ डा. सुरेश पटारिया ने कहा कि सभी सीएचसी व पीएचसी पर स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारी के निर्देश दिए गए हैं। प्रभारी चिकित्साधिकारियों से आवश्यक उपकरणों व दवा आदि की डिमांड करने को कहा गया है। यदि किसी अस्पताल पर दवा व संसाधनों की कमी की शिकायत मिली तो संबंधित की जवाबदेही तय करते हुए कार्रवाई की जाएगी।