Northeast Railway: रेलकर्मियों के वेतन से नहीं होगी कोआपरेटिव बैंक के ऋण की कटौती

पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने कोआपरेटिव बैंक से अपने आप को अलग करते हुए लोन व ऋण की कटौती सहित अन्य कार्यवाही से अपना हाथ खींच लिया है। उसका कहना है कि वर्तमान में कोआपरेटिव बैंक पर रेलवे प्रशासन का कोई भी प्रशासनिक नियंत्रण नहीं है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 05:30 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 05:30 PM (IST)
Northeast Railway: रेलकर्मियों के वेतन से नहीं होगी कोआपरेटिव बैंक के ऋण की कटौती
रेलकर्मियों के वेतन से नहीं होगी कोआपरेटिव बैंक के ऋण की कटौती। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने कोआपरेटिव बैंक से अपने आप को अलग करते हुए लोन व ऋण की कटौती सहित अन्य कार्यवाही से अपना हाथ खींच लिया है। उसका कहना है कि वर्तमान में कोआपरेटिव बैंक पर रेलवे प्रशासन का कोई भी प्रशासनिक नियंत्रण नहीं है। बैंक की कटौती के संबंध में कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं है।

शेयर होल्‍डर होंगे प्रभावित

यानी, अब रेलकर्मियों के वेतन से 'दी एन ई एंड इसी रेलवे इंपलाइज मल्टी स्टेट कोआपरेटिव बैंक' और 'दी मैकेनिकल डिपार्टमेंट प्राइमरी कोआपरेटिव बैंक' गोरखपुर से लिए गए ऋण की कटौती नहीं होगी। पूर्वोत्तर रेलवे के करीब 50 में से 40 हजार से अधिक कर्मचारी कोआपरेटिव बैंकों के शेयर होल्डर हैं, जो इस फैसले से सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।

रेल प्रशासन लोन लेने में नहीं करेगा सहयोग

रेलवे प्रशासन कर्मियों के लोन लेने और ऋण देने में भी कोई सहयोग नहीं करेगा। कोआपरेटिव बैंक को भी लोन देने व ऋण की कटौती से संबंधित समस्त कार्य और आवेदन अन्य बैंकों के आधार पर ही करने होंगे। इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर के वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए मुख्य यांत्रिक कारखाना प्रबंधक (सीडब्लूएम) सहित सभी मंडल रेल प्रबंधकों, कार्मिक अधिकारियों और दोनों काआपरेटिव बैंक प्रबंधन को चिट्ठी लिख दी है।

बढी विभागीय हलचल

रेलवे बोर्ड के अनुसार गोरखपुर स्थित कोआपरेटिव बैंक कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण और बैकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के अधीन बैंक की श्रेणी में आते हैं। ऐसे में बैंक प्रबंधन अन्य बैंकों के आधार पर अपने स्तर से लोन देने व ऋण की कटौती का प्रबंध सुनिश्चित करे। वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी के इस पत्र से विभागों में हलचल बढ़ गई है। रेलकर्मियों के बीच चर्चा तेज हो गई है।

बढेंगी बैंकिंग की मुश्किलें

बैंक प्रबंधन के भी कान खड़े हो गए हैं। बैंक अभी तक रेलवे प्रशासन के माध्यम से कर्मचारियों के वेतन से ही ऋण की कटौती करते रहे हैं। ऋण की रिकवरी रेलवे प्रशासन ही कर देता था, लेकिन अब नई व्यवस्था से रेलवे प्रशासन की कार्य प्रणाली आसान हो जाएगी जबकि बैंकों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। रिकवरी के लिए उन्हें ऋण लेने वाले कर्मचारियों के पीछे दौडऩा पड़ेगा। जानकारों के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे के करीब 50 में से 40 हजार से अधिक कर्मचारी कोआपरेटिव बैंकों के शेयर होल्डर हैं। शेयर होल्डरों को ही ऋण लेने की अनुमति होती है।

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