पूर्वोत्तर रेलवे को परिवहन क्षेत्र में मिला नेशनल एनर्जी कंजर्वेशन अवार्ड
भारतीय रेलवे स्तर पर पूर्वोत्तर रेलवे ने पहला स्थान हासिल कर शानदार उपलब्धि हासिल की है। यह पुरस्कार 75 फीसद से अधिक रेलमार्गों के विद्युतीकरण डीजल की जगह विद्युत इंजन स्टेशनों और कार्यालयों में सौ फीसद एलईडी लाइट का प्रावधान और सोलर पैनल का उपयोग के चलते मिला है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वोत्तर रेलवे को परिवहन क्षेत्र में नेशनल एनर्जी कंजर्वेशन अवार्ड मिला है। भारतीय रेलवे स्तर पर पूर्वोत्तर रेलवे ने पहला स्थान हासिल कर शानदार उपलब्धि हासिल की है। यह पुरस्कार 75 फीसद से अधिक रेलमार्गों के विद्युतीकरण, डीजल की जगह विद्युत इंजन, स्टेशनों और कार्यालयों में सौ फीसद एलईडी लाइट का प्रावधान और सोलर पैनल का उपयोग के चलते मिला है।
डीजल की खपत में आई कमी
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार इलेक्ट्रिक से चलने वाली 34 इंजनों में हेड आन जेनरेशन (एचओजी) एचओजी, वाशिंग पिट में पावरकार के टेस्टिंग के लिए 758 वोल्ट बिजली आपूर्ति आदि के चलते 96365 किलोलीटर डीजल की खपत में कमी लाई गई है। 54 रेलवे स्टेशनों पर सोलर प्लांट लगाए गए हैं। 20736 रेलवे आवासों, 393 कार्यालय भवनों एवं 389 स्टेशन भवनों में सौ फीसद एलईडी लाइट की व्यवस्था की है।
1.28 करोड की हुई बचत
जिससे वर्ष 2020-21 में 4.5 करोड़ रुपये की बचत हुई है। वर्ष 2020-21 में सोलर पैनल के चलते 1.18 करोड़ रुपये की बचत हुई। रेलमार्गों का तेजी से विद्युतीकरण हो रहा है। वर्ष 2018-19 में 433.21 रूट किमी, 2019-20 में 543.41 रूट किमी तथा 2020-21 में 561.36 रूट किमी रेलमार्ग का विद्युतीकरण हुआ है। महाप्रबंधक विनय कुमार त्रिपाठी के मार्गदर्शन में पूर्वोत्तर रेलवे ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में लगातार बेहतर कार्य कर रहा है।
रेलवे की खाली भूमि पर लगेंगे सोलर प्लांट
ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में एक कदम और बढ़ाते हुए रेलवे प्रशासन ने खाली भूमि पर सोलर प्लांट लगाने की योजना तैयार की है। यह प्लांट स्टेशनों के आसपास रेल लाइनों के किनारे खाली भूमि के किनारे लगाए जाएंगे। प्लांट लग जाने से रेलवे को सौर ऊर्जा तो मिलेगी ही खाली भूमि का भी उपयोग हो जाएगा। भूमि सुरक्षित रहेगी। अतिक्रमण नहीं होगा। प्लांट लगाने के लिए भूमि चिन्हित की जा रही है। दरअसल, रेलवे के कार्यालयों और स्टेशन भवनों पर प्लांट लग गए हैं। प्लांट लगाने के लिए रेलवे को स्थल नहीं मिल रहे है। ऐसे में रेलवे ने खाली भूमि का उपयोग करने का अहम निर्णय लिया है। पूर्वोत्तर रेलवे के खाली भूमि पर भी प्लांट लगाने की तैयारी शुरू हो चुकी है।