इस परियोजना पर नहीं हुआ काम, बच जाते बाढ़ की तबाही से

बाढ़ से बचाव के लिए अंग्रेजों ने जलकुंडी परियोजना तैयार की थी। 1935 के बाद यह जलकुंडी परियोजना का मुद्दा कई बार उठ चुका है लेकिन इस पर काम नहीं हो सका है। लोगों मानना है कि इस परियोजना पर काम होता तो बाढ़ से नुकसान नहीं होता।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 03:44 PM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 03:44 PM (IST)
इस परियोजना पर नहीं हुआ काम, बच जाते बाढ़ की तबाही से
जलकुंडी परियोजना पर काम होता तो बच जाते बाढ़ की तबाही से। प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : पूर्वांचल में हर साल बाढ़ से भारी नुकसान होता है। बड़े पैमाने पर फसलों की क्षति व जनहानि होती है। विकास कार्यों का भी भारी नुकसान होता है। बाढ़ से बचाव के लिए वर्ष 1935 में अंग्रेजों ने जलकुंडी परियोजना तैयार की थी। 1935 के बाद यह जलकुंडी परियोजना का मुद्दा कई बार उठ चुका है, लेकिन इस पर काम नहीं हो सका है। लोगों मानना है कि इस परियोजना पर काम हुआ होता तो पूर्वांचल को बाढ़ से भारी नुकसान नहीं होता।

लाखों हेक्टयेर प्रति वर्ष बाढ़ की चपेट में आने से हो जाती है खराब

पूर्वांचल में प्रतिवर्ष लाखों हेक्टेयर फसल बाढ़ की भेंट चढ़ जाती है। इससे छुटकारा दिलाने के लिए अंग्रेजों ने जलकुंडी परियोजना तैयार कराई थी। इस परियोजना के तहत नेपाल के भालूबांग के पास 56 मीटर और नलौरी के पास 163 मीटर ऊंचा बांध बनाने के साथ गहरा कुंड बनाकर पानी को स्टोर किया जाना था। इस कुंड में राप्ती और उसकी सहायक नदी झिरमुख, खोला सहित कई नदियों के जल को एकत्रित किया जाना था। वहां डैम बनाकर बिजली का उत्पादन होता, इससे नेपाल सहित पूर्वांचल की विद्युत व्यवस्था सुधर जाती और सिद्धार्थनगर सहित बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, संतकबीरनगर सहित करीब दर्जनभर जिले को बाढ़ से छुटकारा मिल जाता।

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी कर चुके हैं पहल

परियोजना को लेकर वर्ष 1954 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू व नेपाल के राजा त्रिभुवन वीर विक्रम शाह की बात भी हो चुकी थी, लेकिन सार्थक प्रयास के अभाव में परियोजना की शुरुआत ही नहीं हो सकी।

पूर्व मंत्री धनराज यादव ने भी की थी पहल

भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री व सिद्धार्थनगर जिले के निवासी स्व. धनराज यादव भी इस परियोजना के लिए कई बार पहल कर चुके थे। वह इस परियोजना की फाइल को लेकर पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सहित अन्य कई बड़े नेताओं से मिले थे, लेकिन कुछ हुआ नहीं। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह का कहना है कि सुषमा स्वराज से मुलाकात के दौरान वह भी पूर्व मंत्री धनराज यादव के साथ मौजूद थे।

स्थितियां भी अनुकूल

वर्तमान स्थितियां भी इस परियोजना के अनुकूल हैं। नेपाल में प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की सरकार है। उनके भारत से रिश्ते भी अच्छे हैं। ऐसे में प्रबल संभावना है कि इस परियोजना पर दोनों देशों की सहमति बन जाए। यह परियोजना सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल के भी हित में है। इस परियोजना द्वारा तैयार होने वाली बिजली का सर्वाधिक लाभ नेपाल को ही मिलता।

यह अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा

सदर सांसद रवि किशन शुक्ल ने कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस परियोजना के जरिये पूर्वांचल को बाढ़ की समस्या से मुक्ति मिल सकती है। इस मुद्दे को लोकसभा के शीतकालीन सत्र में उठाउंगा। प्रधानमंत्री से मांग करूंगा कि जल कुंडी परियोजना के लिए नेपाल सरकार से वार्ता करें।

chat bot
आपका साथी