बिजौरा पीएचसी में स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा

भनवापुर ब्लाक के अति पिछड़े एवं बाढ़ प्रभावित क्षेत्र बिजौरा में सरकारी अस्पताल होने के बाद भी लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को टोटा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कई वर्ष से डाक्टर नहीं है बिना चिकित्सक अस्पताल बेमतलब साबित हो रहा है। यहां आवासीय भवन बदहाल है तो शौचालय झाड़ियों में कैद होकर खंडहर हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 09:30 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 09:30 PM (IST)
बिजौरा पीएचसी में स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा
बिजौरा पीएचसी में स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा

सिद्धार्थनगर : भनवापुर ब्लाक के अति पिछड़े एवं बाढ़ प्रभावित क्षेत्र बिजौरा में सरकारी अस्पताल होने के बाद भी लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को टोटा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कई वर्ष से डाक्टर नहीं है, बिना चिकित्सक अस्पताल बेमतलब साबित हो रहा है। यहां आवासीय भवन बदहाल है तो शौचालय झाड़ियों में कैद होकर खंडहर हो रहे हैं। शुद्ध पेयजल तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

बिजौरा समेत सफीपुर, सिगारजोत, गागापुर, सिकंदरपुर, जूड़ीकुइया, खन्ता, रमवापुर जगतराम, डोमसरा, परसोहिया तिवारी सहित दो दर्जन गांवों में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर हो, इसके लिए यहां 2005-06 में लाखों की लागत से पीएचसी का निर्माण कराया गया। वर्ष 2017 में एक चिकित्सक की तैनाती हुई। कुछ ही वर्षों में उनका स्थानांतरण हो गया। तब से अस्पताल में चिकित्सक का पद रिक्त चल रहा है। सारी व्यवस्था फार्मासिस्ट रमेश चंद मिश्र के जिम्मे रहता है। सोमवार को सुबह नौ बजे वे ड्यूटी में आ गए। वार्ड ब्वाय अंबुज श्रीवास्तव भी मौजूद रहे। सीएचओ मोनिका सिंह के बारे में बताया गया कि अवकाश पर हैं। यहां जो भी मरीज आते हैं, उनका उपचार फार्मासिस्ट ही करते हैं। जांच सुविधा के नाम पर यहां कुछ नहीं है। छोटी-छोटी जांच के लिए मरीजों को निजी पैथलाजी का सहारा लेना पड़ता है।

अस्पताल में अन्य सुविधाओं की बात करें तो यहां एक देसी हैंडपंप लगा है, जिसका चबूतरा टूटा हुआ है। पानी की शुद्धता भी सवालों के घेरे में रहती है। पानी की टंकी से पेयजल की आपूर्ति की की आस पूरी नहीं हो सकी है। यहां आवासीय भवन व शौचालय खंडहर में तब्दील होने के कगार पर हैं। 15 वर्ष में अस्पताल को केवल डाक्टर मिले, वह भी कुछ सालों के लिए। इधर तीन वर्ष से कोई चिकित्सक यहां नहीं है। बाढ़ प्रभावित इलाका होने की वजह से इस अस्पताल को सारी स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस होना चाहिए, लेकिन विभागीय अधिकारियों का ध्यान यहां की ओर नहीं जाता है। अधिकांश मरीजों को अस्पताल से निराशा मिलती है। उन्हें करीब 20 किमी की दूरी तय करके इटवा या भनवापुर इलाज के लिए जाना पड़ता है।

क्या कहते हैं नागरिक

गागापुर के इमरान ने कहा कि

पिछले क्षेत्र में अस्पताल का निर्माण इस उद्देश्य से कराया गया कि क्षेत्रवासियों को सुलभ व सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके, लेकिन उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही है।

बिजौरा के मोनू अग्रहरि का कहना है कि पीएचसी में नियमित डाक्टर की तैनाती और आवश्यक जांच सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाए तो पंद्रह से बीस हजार की आबादी के लिए स्वास्थ्य सुविधा बेहतर हो जाए।

बेलवा के बब्लू सोनी का कहना है कि अस्पताल केवल दिखावा बनकर रह गया है। मजबूरी में मरीजों को या तो अधिक दूरी तय करके दूसरे अस्पताल जाना पड़ता है अथवा झोलाछाप की शरण में जाना पड़ता है।

परसोहिया तिवारी के अब्दुल हक ने बताया कि छोटी-छोटी बीमारी का इलाज अस्पताल पर नहीं हो पाता है। जो भी आते हैं निराश होकर लौट जा रहे हैं। एक चिकित्सक की तैनाती हो जाए तो मरीजों को परेशान न होना पड़े। प्रभारी चिकित्साधिकारी , भवानीपुर डा.शैलेंद्र मणि ओझा ने कहा कि अस्पताल पर किसी चिकित्सक की तैनाती नहीं है। इसके लिए ऊपर लिखा-पढ़ी गई है। उम्मीद है कि जल्द ही अस्पताल को डाक्टर मिल जाए। वैसे अपने स्तर से स्वास्थ्य सुविधा बेहतर करने के लिए जो संभव प्रयास होते हैं वह कर रहे हैं।

chat bot
आपका साथी