बढ़ती घाघरा बढ़ा सकती है मुश्किल
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : मानसून के आगाज के साथ ही नदियों के जलस्तर की निगरानी भी तेज ह
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : मानसून के आगाज के साथ ही नदियों के जलस्तर की निगरानी भी तेज हो गई है। गोरखपुर में राप्ती और रोहिन नदियों का जलस्तर अभी भले ही खतरे के निशान से काफी नीचे हो, लेकिन घाघरा का बढ़ता जलस्तर जनपद के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। हालांकि घाघरा अयोध्या में भले ही खतरे के निशान के करीब पहुंच रही हो, लेकिन तुर्तीपार में अभी वह खतरे के निशान से काफी नीचे बह रही है।
गोरखपुर में पांच प्रमुख नदियां बहती हैं। मध्य नेपाल के दक्षिणी भाग से निकलने वाली राप्ती, रुपनदेही के पास शिवालिक के पर्वतों से निकलने वाली रोहिन, सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज से निकलने वाली आमी के अलावा कुआनो नदी में जलस्तर बढ़ने से यहां बाढ़ आती है। रोहिन नदी डोमिनगढ़ के पास राप्ती में मिल जाती है, जबकि आमी नदी कौड़ीराम के पास सोहगौरा में राप्ती से मिलती है। रोहिन और आमी को अपने समाहित करने के बाद राप्ती नदी बड़हलगंज में कपरवार के पास घाघरा में मिलकर समाप्त हो जाती है। अयोध्या की तरफ से आ रही घाघरा गाजीपुर के पास गंगा में मिल जाती है।
पूर्वाचल में मानसून आने के बाद शुरू हुई बारिश के बीच घाघरा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा। रविवार को अयोध्या में घाघरा खतरे के निशान 92.73 से चार प्वाइंट नीचे 89.42 पर पहुंच गया, जबकि तुर्तीपार में 64.01 से पांच प्वाइंट नीचे 59.28 पर बह रही थी। हालांकि बर्डघाट में राप्ती नदी और त्रिमुहानीघाट पर रोहिन खतरे के निशान से लगभग पांच प्वाइंट नीचे बह रही थी।
विशेषज्ञों की मानें तो राप्ती और रोहिन का जलस्तर न बढ़ना संतोषजनक है, लेकिन अगर घाघरा का जलस्तर लगातार बढ़ता रहा तो राप्ती का पानी घाघरा में उतर नहीं पाएगा। राप्ती का पानी न उतरने से आमी, रोहिन आदि नदियों का जलस्तर इधर बढ़ने लगेगा। अगर इस बीच नेपाल के पहाड़ों पर भी तेज बारिश हुई तो इन नदियों में तेजी से जलस्तर बढ़ सकता है।