अब बिना पंजीकरण के भी किसान बेच सकेंगे धान, यह है नया नियम
किसानों के लिए खुशखबरी है। वह अपना धान किसी भी क्रय केंद्र पर बेच सकते हैं। अगर वह पंजीकरण नहीं कराए हैं तो चिंता वाली कोई बात नही
गोरखपुर, जेएनएन। खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत किसानों से खरीद नहीं होने पाने के कारण शासन ने धान क्रय नीति को संशोधित कर दिया है। नई संशोधित नीति के तहत पंजीकृत समितियां, मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटीज (पीसीयू), प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) व फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनीज (एफपीसी) जिले की उत्पादकता के आधार पर केवल सीमांत व लघु किसानों से धान खरीद सकेंगे। इससे पहले सीमांत किसानों से 25 क्विंटल व लघु किसानों से 50 क्विंटल खरीद की सीमा निर्धारित की गई थी। यह संस्थाएं सीमांत व लघु किसानों के अतिरिक्त अन्य किसानों का धान नहीं खरीद सकेंगी।
क्रय एजेंसियों द्वारा स्वयं संचालित किए जाने वाले केंद्र अथवा पंजीकृत समितियों के ऐसे केंद्र (जिनमें राज्य सरकार का अंश लगा है) पर इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। पूर्व पंजीकरण अनिवार्य किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए पूर्व पंजीकरण अनिवार्य होगा। लेकिन यदि कोई किसान बिना पंजीकरण के केंद्र पर धान बेचने के लिए आता है तो उसे केंद्र प्रभारी वापस नहीं करेंगे। एजेंसी के जिला स्तरीय अधिकारी एवं संबंधित तहसील के उपजिलाधिकारी के सहयोग से पंजीकरण की कार्यवाही पूरी कराई जाएगी। अगर किसान का धान 100 क्विंटल से अधिक है तो राजस्व विभाग से 24 घंटे के भीतर सत्यापन कराकर किसान से धान खरीदा जाएगा।
संयुक्त परिवार वाले किसानों की भी बल्ले-बल्ले संशोधित क्रय नीति में संयुक्त परिवार वाले किसानों की भी बल्ले-बल्ले हो गई है। अब संयुक्त परिवार की स्थिति में कोई एक खाताधारक अन्य सह खाताधारकों की सहमति से उनकी ओर से धान विक्रय के लिए पंजीकरण करा सकेगा। इसके अलावा एक ही खाताधारक अन्य सहखाताधारकों की सहमति से धान का विक्रय भी कर सकेगा। सीमांत व लघु किसानों को सत्यापन से मिली छूट शासन ने सीमांत व लघु किसानों को बड़ी राहत देते हुए अगले आदेशों तक आनलाइन और आफलाइन सत्यापन से छूट दे दी है। ऐसे किसान बिना सत्यापन के ही अपना धान बेंच सकेंगे। इसके अलावा कोई किसान जो अधिकतम 100 क्विंटल धान क्रय केंद्र पर बेचना चाहता है तो उसे भी आनलाइन व आफलाइन सत्यापन कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
गांवों के संबद्धीकरण में भी मिली छूट धान खरीद के लिए राजस्व गांवों को क्रय केंद्रों से संबद्ध किए जाने के निर्देश दिए गए थे। इस व्यवस्था के तहत किसान संबद्ध केंद्र पर ही उपज बेच सकते थे लेकिन अब शासन ने इसमें भी बदलाव कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत तीन दिनों (बृहस्पतिवार से शनिवार तक) के भीतर जिला खाद्य विपणन अधिकारी इस बात का परीक्षण करेंगे कि यदि किसानों को धान बेचने में असुविधा हो रही है तो स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर विकास खंड, तहसील व जिला स्तर पर केंद्रों को संबद्धीकरण से मुक्त रखने की कार्यवाही कर सकेंगे। इसके लिए जिलाधिकारी का अनुमोदन जरूरी होगा।
क्रय एजेंसियों द्वारा स्वयं संचालित किए जाने वाले केंद्र अथवा पंजीकृत समितियों के ऐसे केंद्र (जिनमें राज्य सरकार का अंश लगा है) पर इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। पूर्व पंजीकरण अनिवार्य किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए पूर्व पंजीकरण अनिवार्य होगा। लेकिन यदि कोई किसान बिना पंजीकरण के केंद्र पर धान बेचने के लिए आता है तो उसे केंद्र प्रभारी वापस नहीं करेंगे। एजेंसी के जिला स्तरीय अधिकारी एवं संबंधित तहसील के उपजिलाधिकारी के सहयोग से पंजीकरण की कार्यवाही पूरी कराई जाएगी। अगर किसान का धान 100 क्विंटल से अधिक है तो राजस्व विभाग से 24 घंटे के भीतर सत्यापन कराकर किसान से धान खरीदा जाएगा।
संयुक्त परिवार वाले किसानों की भी बल्ले-बल्ले संशोधित क्रय नीति में संयुक्त परिवार वाले किसानों की भी बल्ले-बल्ले हो गई है। अब संयुक्त परिवार की स्थिति में कोई एक खाताधारक अन्य सह खाताधारकों की सहमति से उनकी ओर से धान विक्रय के लिए पंजीकरण करा सकेगा। इसके अलावा एक ही खाताधारक अन्य सहखाताधारकों की सहमति से धान का विक्रय भी कर सकेगा। सीमांत व लघु किसानों को सत्यापन से मिली छूट शासन ने सीमांत व लघु किसानों को बड़ी राहत देते हुए अगले आदेशों तक आनलाइन और आफलाइन सत्यापन से छूट दे दी है। ऐसे किसान बिना सत्यापन के ही अपना धान बेंच सकेंगे। इसके अलावा कोई किसान जो अधिकतम 100 क्विंटल धान क्रय केंद्र पर बेचना चाहता है तो उसे भी आनलाइन व आफलाइन सत्यापन कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
गांवों के संबद्धीकरण में भी मिली छूट धान खरीद के लिए राजस्व गांवों को क्रय केंद्रों से संबद्ध किए जाने के निर्देश दिए गए थे। इस व्यवस्था के तहत किसान संबद्ध केंद्र पर ही उपज बेच सकते थे लेकिन अब शासन ने इसमें भी बदलाव कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत तीन दिनों (बृहस्पतिवार से शनिवार तक) के भीतर जिला खाद्य विपणन अधिकारी इस बात का परीक्षण करेंगे कि यदि किसानों को धान बेचने में असुविधा हो रही है तो स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर विकास खंड, तहसील व जिला स्तर पर केंद्रों को संबद्धीकरण से मुक्त रखने की कार्यवाही कर सकेंगे। इसके लिए जिलाधिकारी का अनुमोदन जरूरी होगा।