इस गांव के हर घर में नीम और नीबू का पेड़, पहली से लेकर दूसरी लहर तक कोई भी नहीं हुआ संक्रमित Gorakhpur News
इस गांव में कोरोना वायरस का संक्रमण फटक भी नहीं पाया। कारण गांव में पुरखों के लगाए नीम और नींबू के पेड़ कोरोना के खिलाफ हकीम बने हुए हैैं। 18 सौ की आबादी और 70 घर वाले इस गांव के हर घर में नीम और नींबू केे पेड़ है।
गोरखपुर, जेएनएन। पुरखों से मिली परंपरा को श्रद्धा का संरक्षण मिले तो वह आशीर्वाद के रूप में हमेशा नई पीढ़ी के लिए कवच बन जाती है। सिद्धार्थनगर जनपद के बढऩी का पथरदेईया गांव इसका जीता-जागता उदाहरण है, जहां कोरोना वायरस का संक्रमण फटक भी नहीं पाया। कारण, गांव में पुरखों के लगाए नीम और नींबू के पेड़ कोरोना के खिलाफ हकीम बने हुए हैैं। करीब 18 सौ की आबादी और 70 घर वाले इस गांव के तकरीबन हर घर में नीम और नींबू का पेड़ है। नीम की नर्म पत्तियां और नींबू उनके दैनिक खानपान में शामिल है।
25 फीसद आवादी प्रवासी
खानपान और वातावरण का असर ही है कि करीब 25 फीसद आबादी प्रवासी होने और निरंतर आवागमन के बाद भी इस गांव में कोई संक्रमित नहीं हुआ। यहां चार सौ से अधिक लोग शहरों में काम करते हैैं। कोरोना संक्रमण की पहली लहर में सभी गांव लौटे। दो सप्ताह तक क्वांरटाइन रहे। खानपान में नींबू और नीम को शामिल करते रहे। दो बार जांच हुई और दोनों बार सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई। दूसरी लहर में भी करीब तीन सौ प्रवासी गांव लौटे। पहले तो सेल्फ क्वारंटाइन रहे, फिर खानपान का ध्यान रखा। नतीजा, कोई भी संक्रमित नहीं हुआ।
इन्होंने घर बनाने के साथ शुरू की थी परंपरा
निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य निरंकार सिंह बताते हैं कि गांव में नीम व नींबू का पेड़ लगाने की शुरूआत करीब 80 साल पहले उनके बाबा ठाकुर मनबहाल सिंह ने की थी। वह इटवा से आकर यहां बसे थे। इस परंपरा को उनके बड़े पुत्र दुखहरण सिंह ने आगे बढ़ाया और धीरे-धीरे गांव को नीम और नींबू की अहमियत समझ में आने लगी। कुछ घर, जहां पेड़ लगाने की जगह नहीं है, उन्हें छोड़कर हर घर में नीम का पेड़ है। 50-55 घरों में नींबू का पेड़ है। जिनके यहां नीम या नींबू का पेड़ नहीं है, वह दूसरे के यहां से बेहिचक ले सकते हैैं।
नीम की नर्सरी भी
निरंकार सिंह के घर पर नीम की नर्सरी भी है। यहां प्रति वर्ष नीम और नींबू की पौध तैयार की जाती है। उन्हें मुफ्त में बांटा जाता है। आसपास के ग्रामीण भी पौधे ले जाते हैैं। गांव के चारो तरफ आम, कदंब और नीम के पेड़ लगे हैैं, जो वातावरण को आक्सीजन देते हैैं, शुद्ध रखते हैैं।