मोरारी बापू ने स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के लिए की मोदी की सराहना

बुद्ध नगरी में रामकथा के दौरान मंच से मानस मर्मज्ञ कथा वाचक मोरारी बापू ने वैक्सीन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के वैज्ञानिकों की सराहना की। भारत में बनी वैक्सीन आज पूरे विश्व में सबसे अधिक विश्वसनीय मानी जा रही है।

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 02:10 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 06:41 PM (IST)
मोरारी बापू ने स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के लिए की मोदी की सराहना
भगवान बद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में राम कथा सुनाते मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू।

गोरखपुर, जेएनएन। पूरी दुनिया में कोरोना वैक्सीन बनाने को लेकर भारत का डंका बज रहा है। इस महामारी का अंत हम सबको मिलकर करना ही होगा। बुद्ध नगरी में रामकथा के दौरान मंच से यह आह्वान करते हुए मानस मर्मज्ञ कथा वाचक मोरारी बापू ने वैक्सीन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के वैज्ञानिकों की सराहना की। कहा कि भारत में बनी वैक्सीन आज पूरे विश्व में सबसे अधिक विश्वसनीय मानी जा रही है।

कथा के दौरान मोरारी बापू ने कोरोना के खतरे को लेकर लोगों को आगाह भी किया और कहा कि जिस तरह से भारत ने इस आपदाकाल का मुकाबला किया वह निश्चित रूप से प्रशंसनीय है। भारतीय वैक्सीन को विश्व के अन्य देश बहुत महत्व दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय वैक्सीन को लेकर ब्राजील सरकार की टिप्पणी 'ऐसा लग रहा है कि मानो राम भक्त हनुमान ने आज हमें लक्ष्मण बूटी लाकर दे दी, भारत का गौरव दुनिया में बढ़ा रहा है। बापू ने श्रोताओं से कोरोना गाइड लाइन का पालन करने, वैक्सीन लगने और कोरोना के समूल रूप से समाप्त होने तक पूरी सतर्कता बरतने की अपील की।

रामचरित मानस निर्वाण प्राप्ति का सशक्त माध्यम

भगवान बुद्ध की नगरी कुशीनगर में मानस मर्मज्ञ प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू की रामकथा निर्वाण पर केंद्रित रही। इसके आठ रूपों को बताते हुए रामचरित मानस को भी खड़ा किया और इसे निर्वाण का सशक्त माध्यम बताया। उन्‍होंने कहा कि तुलसीदास रचित रामचरित मानस में आठ बार निर्वाण की बात आती है। अयोध्या कांड में निर्वाण शब्द का पहला प्रयोग हुआ है। यह भी कहा कि निर्विचारिता ही निर्वाण है। अखंड निर्विचारिता महापरिनिर्वाण है। स्वप्न में भी किसी के प्रति राग द्वेष न रखना भी निर्वाण ही है। प्रेम धारा में रसमय व तन्मय प्रवेश करना, लीन हो जाना प्रेम भाव का निर्वाण है। बापू ने कहा कि तंत्र, मंत्र व सूत्रों का सहारा लेकर दूसरे को बाध्य करना आध्यात्मिक प्रदूषण खड़ा करना है। यह ङ्क्षहसा वायुमंडल को प्रदूषित करती है। बुद्ध ने भी कहा कि मेरी बात मत मान लेना। इसका खुद पर प्रयोग करना, प्रयोग पर खरा उतरे तभी मानना। तब यह बात मेरी नहीं, तुम्हारी हो जाएगी। मानस भी यही कहता है, बातों को मानें नहीं उसे अंगीकार करें। राम नाम महामंत्र है। इसके जप मात्र से जीवन धन्य हो जाता है। युवा पीढ़ी को सचेत करते हुए कहा कि भोग युवानी (जवानी) में भी बूढ़ा बना देता है और प्रेम बुढ़ापे को भी युवा बना देता है। सभी में जीने की उत्कंठा होनी चाहिए। देश की बात करते हुए कहा कि भारत को मतलब हम सभी को अपने बारे में सोचना चाहिए। इस भूमि पर भगवान भी आना चाहते हैं, फिर दूसरे के बारे में क्या सोचना। हिंदू धर्म उदार होने के कारण किसी की भी दृष्टि इस ओर कम जाती है। घर परिवार की चर्चा करते हुए कहा कि प्रत्येक घर में एक भीष्म होता है, वही हमारी पापों को भोगता है। परिवार में लोग भीम को खोजते हैं, पर भीष्म को भी खोजें। ईर्ष्‍या, निंदा और द्वेष का जीवन में कोई आवश्यकता नहीं है। लोभ, मोह, क्रोध और काम का अति न हो तो कोई बात नहीं। बापू ने कहा कि आजकल दिमाग का अत्यधिक मंथन हो रहा इससे विष ही निकलेगा। ज्यादा मंथन ठीक नहीं। समुद्र के भी अत्यधिक मंथन से हलाहल ही निकला था। आयोजक अमर तुलस्यान ने सपरिवार आरती की।

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