Kushinagar floods: नारायणी का जलस्तर घटा, कटान तेज होने से 185 एकड़ खेत हुए विलीन

बारिश न होने से कुशीनगर में नारायणी के जलस्तर में कमी तो आई लेकिन कटान तेज हो गई है। शाहपुर में 60 एकड़ बालगोविंद छपरा में 40 एकड़ महदेवा 70 एकड़ व करमहवां में 15 एकड़ खेत गन्ना केला व धान की फसल समेत नदी में विलीन हो गए।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 06:39 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 06:39 PM (IST)
Kushinagar floods: नारायणी का जलस्तर घटा, कटान तेज होने से 185 एकड़ खेत हुए विलीन
महदेवा गांव में केले की फसल काटती नदी। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन : वाल्मीकिनगर बैराज से डिस्चार्ज में कमी और दो दिनों में बारिश न होने से कुशीनगर जिले में नारायणी के जलस्तर में कमी तो आई है, लेकिन कटान तेज हो गई है। शाहपुर में 60 एकड़, बालगोविंद छपरा में 40 एकड़, महदेवा 70 एकड़ व करमहवां में 15 एकड़ खेत गन्ना, केला व धान की फसल समेत नदी में विलीन हो गए। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। उन्हें अंदेशा सता रहा कि नदी का रुख ऐसे ही रहा तो आने वाले दिनों में क्या होगा।

बारिश और डिस्चार्ज से उफना गई थी नारायणी

बीते शुक्रवार से लगातार पांच दिनों तक हुई बारिश और डिस्चार्ज से नारायणी उफना गई थी। इससे दियारा के शिवपुर, मरिचहवा, नरायनपुर, हरिहरपुर, बालगोविंद छपरा, शाहपुर और नदी इस पार के महदेवा, सालिकपुर, करमहवां, नरकेलिया, पनियहवा, सूरजपुर आदि गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया था। इधर दो दिन बारिश न होने और लगातार डिस्चार्ज घटने से नदी के जलस्तर में काफी कमी आ गई है।

निकलने लगा है गांवों से बाढ़ का पानी

बाढ़ प्रभावित गांवों से पानी निकलने लगा है, सड़कों पर जलभराव से मुक्ति मिल गई है। दूसरी ओर कटान तेज होने से फसल और खेत नारायणी की धारा में विलीन हो रहे हैं। सुदर्शन निषाद, भोला चौहान, शांति देवी, संतोष राय, रामप्रवेश, नथुनी कुशवाहा, राजेश कुशवाहा आदि ने कहा कि नारायणी के कहर से खेत व फसलों से हाथ धो रहे हैं। उन्होंने प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से कटान रोकने की व्यवस्था और क्षति का आंकलन कराकर मुआवजा दिलवाने की मांग की।

परेशानी किसानों की जुबानी

जवाहर भारती ने कहा कि एक एकड़ धान की रोपाई की थी। कटान की वजह से फसल समेत खेत नदी में विलीन हो गया। पिछले साल भी 10 कट्ठा खेत कटान की भेंट चढ़ गया था। शहवर नेशा ने बताया कि एक बीघा खेत 50 हजार रुपये में रेहन रखकर एक एकड़ में केले की पौध लगाई थी। कुछ पौधों में फल आने लगे थे। गुरुवार की फसल समेत खेत कट गया। करीब डेढ़ लाख की क्षति हुई है।

फसल समेत खेत चला गया नदी में

हीरालाल निषाद कहते हैं कि पिछले वर्ष बाढ़ के बाद कटान से ढाई एकड़ खेत नदी में विलीन हो गया था। शेष बचा 15 कट्ठा खेत में इस साल धान की रोपाई की थी। कटान से फसल समेत खेत नदी में चला गया। सुरेंद्र गोंड़ ने बताया कि हर साल बाढ़ आती है और हजारों एकड़ खेत फसल समेत नदी में विलीन हो जाते हैं। इससे किसानों की कमर टूट जाती है। इसके बावजूद प्रशासन मुआवजा के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं देता है।

राजस्व टीम को क्षति का आंकलन करने के लिए लगाया गया

एसडीएम अरविंद कुमार ने कहा कि नदी के जलस्तर में कमी होने के बाद कटान शुरू हो जाती है, इस पर नजर रखी जा रही है। राजस्व टीम को क्षति का आंकलन करने के लिए लगा दिया गया है। रिपोर्ट शासन को भेजकर मुआवजे की मांग की जाएगी।

chat bot
आपका साथी