गोरखपुर में नान कोविड अस्पतालों को पांच गुना महंगे रेट पर मिल रहा आक्सीजन

गोरखपुर में नान कोविड अस्पतालों को भी आसानी से आक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। कारोबारियों ने छोटे सिलेंडर का रिफिलिंग रेट पांच गुना और बड़े का ढाई गुना बढ़ा दिया है। इसे लेकर नर्सिंग होम एसोसिएशन ने डीएम के. विजयेंद्र पांडियन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 10:12 AM (IST) Updated:Sun, 02 May 2021 06:42 PM (IST)
गोरखपुर में नान कोविड अस्पतालों को पांच गुना महंगे रेट पर मिल रहा आक्सीजन
गोरखपुर में नान कोविड अस्पतालों में मरीजों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। आक्सीजन की कमी से जूझ रहे जिले में अब कारोबारी मुनाफाखोरी पर उतर आए हैं। नान कोविड अस्पतालों को भी आसानी से आक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। कारोबारियों ने छोटे सिलेंडर का रिफिलिंग रेट पांच गुना और बड़े का ढाई गुना बढ़ा दिया है। इसे लेकर नर्सिंग होम एसोसिएशन ने डीएम के. विजयेंद्र पांडियन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की है। एसोसिएशन का कहना है कि आक्सीजन की कमी के चलते गर्भवती व नवजातों के इलाज पर असर पर पड़ रहा है।

छोटे सिलेंडर का रिफिलिंग रेट पांच गुना व बड़े का ढाई गुना बढ़ा

शनिवार को एक दर्जन नान कोविड अस्पतालों के 55 आक्सीजन सिलेंडर रिफलिंग के लिए गीडा स्थित एक एजेंसी पर भेजे गए। इनमें 40 छोटे व 15 बड़े थे। एजेंसी संचालक ने सभी आक्सीजन सिलेंडरों का रिफिलिंग रेट ढाई से पांच गुना तक बढ़ा दिया है। इसकी जानकारी होने पर अस्पताल संचालक हैरान हो गए हैं। नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. खालिद अब्बासी ने प्रशासन के सामने इस मामले को उठाया था। उनकी पहल पर प्रशासन ने नान कोविड अस्पतालों को सिलेंडर मुहैया कराने का फैसला किया था। बावजूद इसके रेट बढ़ने से नर्सिंग होमों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है।

नर्सिंग होम एसोसिएशन ने की डीएम व सीएम से शिकायत

डा. अब्बासी ने बताया कि आमतौर पर बड़े सिलेंडर का रिफिलिंग का रेट 325 रुपए प्रति सिलेंडर है। बी टाइप सिलेंडर का रिफलिंग का रेट 110 रुपए प्रति सिलेंडर है। शनिवार को एजेंसी संचालक ने मध्यम दर्जे के सिलेंडर के लिए 500 और जम्बो सिलेंडर के लिए 700 का रेट लगाया है। उसने यह रकम नकद में मांगी। कर्मचारियों ने आनलाइन भुगतान लेने से इनकार कर दिया। इसके कारण 55 सिलेंडर प्लांट पर फंस गए हैं।

मैंने जाकर मौके पर जांच की है। छोटे सिलेंडर का रेट वहां 300 व बड़े सिलेंडर का 500 चस्पा किया गया है। नर्सिंग होमों को इसी रेट पर दिया जा रहा है। बल्कि सरकारी अस्पतालों व कुछ नर्सिंग होमों को बड़े सिलेंडर 350 में ही भरे जा रहे थे। - जय सिंह, ड्रग इंस्पेक्टर।

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