11 किलोमीटर लंबी नहर पर बस गई कालोनी, हैरान करने वाली है अवैध कब्‍जे की यह कहानी

सिंचाई विभाग की नहर की कुल चौड़ाई 40 मीटर थी। सिंचाई विभाग ने अपनी जमीन पर कब्जा पर ध्यान नहीं दिया तो लोगों ने सिर्फ सड़क छोड़कर बाकी हिस्से पर कब्जा कर लिया। स्थानीय स्तर पर कब्जे की शिकायत होती रही पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 06 Apr 2021 12:45 PM (IST) Updated:Tue, 06 Apr 2021 11:15 PM (IST)
11 किलोमीटर लंबी नहर पर बस गई कालोनी, हैरान करने वाली है अवैध कब्‍जे की यह कहानी
गोरखपुर में नहर रोड कॉलोनी पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया है। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर शहर के दक्षिणी हिस्से में खेतों की सिंचाई के लिए बनाई गई नहर बंद हुई तो लोगों ने धड़ाधड़ कब्जा करना शुरू कर दिया। वर्ष 1971 के बाद नहर बंद हुई तो धीरे-धीरे उसका अस्तित्व खत्म होता गया। अब नहर नहीं बल्कि नहर रोड नाम ही बचा है। प्रशासन के चिह्नांकन में नहर की जमीन पर आधा मीटर से लगायत 10-12 मीटर तक कब्जा मिला है। नगर निगम के अभियान की जानकारी मिलने के बाद कब्जा करने वाले बेचैन हो गए हैं।

पहले यहां होती थी खेती

शहर के दक्षिणी हिस्से रुस्तमपुर क्षेत्र में पहले खेती होती थी। फसल की सिंचाई के लिए सिंचाई विभाग ने पथरा के पास राप्ती नदी पर रेग्युलेटर बनाकर नहर का निर्माण कराया था। इससे किसानों को सिंचाई में बहुत सहूलियत मिलती थी। रुस्तमपुर इलाके में निर्माण शुरू हुए तो धीरे-धीरे नहर की उपयोगिता खत्म होने लगी। वर्ष 1971 में सिंचाई विभाग ने नहर में पानी की आपूर्ति बंद कर दी लेकिन नहर बनी रही। बाद-बाद में लोगों ने नहर की जमीन पर कब्जा करना शुरू किया।

40 मीटर थी नहर की चौड़ाई

सिंचाई विभाग की नहर की कुल चौड़ाई 40 मीटर थी। सिंचाई विभाग ने अपनी जमीन पर कब्जा पर ध्यान नहीं दिया तो लोगों ने सिर्फ सड़क छोड़कर बाकी हिस्से पर कब्जा कर लिया। स्थानीय स्तर पर कब्जे की शिकायत होती रही पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2013 में शासन में शिकायत हुई तक प्रशासन ने जांच शुरू कराई। शासन ने खाली और कब्जा हुई जमीन का पूरा ब्योरा अलग-अलग मांगा था। तब तत्कालीन कमिश्नर के निर्देश पर जांच हुई। हालांकि कुछ इलाकों में जांच होकर रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

नहर का अस्तित्व ही नहीं

शासन के निर्देश पर वर्ष 2016 में कब्जा की रिपोर्ट भेजी गई थी। बाद में शासन ने इस रिपोर्ट को अपर्याप्त बताते हुए कमिश्नर से दोबारा रिपोर्ट देने को कहा था। तत्कालीन कमिश्नर अनिल कुमार ने जिला प्रशासन, नगर निगम और सिंचाई विभाग के अफसरों की टीम बनाकर जांच के निर्देश दिए। टीम को किसी भी इलाके में नहर का अस्तित्व नहीं मिला। टीम ने अतिक्रमण की बात को स्वीकार किया।

यहां से गुजरती थी नहर

सिंचाई विभाग के रिकार्ड में नहर पथरा, बडग़ो, रानीबाग, कजाकपुर, रामपुर, महुई सुघरपुर, आजाद चौक, रुस्तमपुर, दाउदपुर, इंदिरा नगर से होते हुए नहर गुजरती है। तब इसे पश्चिमी नहर के रूप में जाना जाता था। 

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