लीची की खेती कर मालामाल होंगे पूर्वांचल के किसान, मुजफ्फरपुर में तैयार हो रही नई प्रजाति
आने वाले तीन वर्षों में पूर्वांचल लीची की नई बेल्ट के लिए जाना जाएगा। यह उम्मीद को जगायी है कृषि अनुसंधान परिषद ने। उसने कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार को सेंटर आफ एक्सीलेंस की मंजूरी दी है। इससे लीची अमरूद व आम की नई प्रजातियां तैयार की जा रही हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार बिहार के मुजफ्फरपुर की लीची के पौधों की बेलीपार में नर्सरी विकसित की जा रही है। आने वाले तीन वर्षों में यह क्षेत्र लीची की नई बेल्ट के लिए जाना जाएगा। यह उम्मीद को जगायी है कृषि अनुसंधान परिषद ने। उसने कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) बेलीपार को सेंटर आफ एक्सीलेंस की मंजूरी दी है। इससे केवीके में लीची, अमरूद व आम की नई प्रजातियां तैयार की जा रही हैं। पूर्वांचल के किसान उसकी बागवानी से मालामाल होंगे।
नई प्रजाति तैयार करने के लिए 1.1 करोड़ रुपये मंजूर
कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार की ओर से आठ माह पूर्व ही आम व लीची की नई प्रजाति तैयार करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। अनुसंधान परिषद ने केवीके के प्रस्ताव को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए चुना है। इसके लिए 1.1 करोड़ रुपये भी मंजूर किया है।
लीची के लिए उपजाऊ है पूर्वांचल की जमीन
केवीके बेलीपार प्रदेश में इकलौता केंद्र है, जिसे कृषि अनुसंधान परिषद ने लीची, अमरूद व आम पर काम करने की मंजूरी दी है। कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के प्रभारी डा. एसके तोमर का कहना है कि यह क्षेत्र लीची के लिए बेहद उपजाऊ है।
लीची के लिए अनुकूल है पूर्वांचल की जलवायु
यहां की जलवायु लीची के लिए अनुकूल है। इस क्षेत्र में लोग इसके बाग लगाकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। केंद्र पर नई-नई प्रजातियों को लेकर शोध होंगे। किसानों को नई प्रजातियों की जानकारी दी जाएगी। उसके बाजार के संबंध में बताया जाएगा। इससे किसान कम लागत में अच्छा लाभ कमा सकेंगे। सबसे बड़ी बात लोगों को जब आसानी से इसकी जानकारी मिलेगी तो यह क्षेत्र लीची को लेकर विकसित होगा।
बदल जाएगी किसानों की दशा
पूर्वांचल के मौसम और मिट्टी के अनुकूल लीची की नई प्रजाति तैयार होने के बाद पूर्वांचल के किसानों की दशा बदल जाएगी। पूर्वांचल में अभी सब्जी ही नगदी फसल माना जाता है। लीची की खेती से पूर्वांचल के किसानों की आर्थिक स्थिति बदल जाएगी।