तीन तलाक पर मुस्लिम बुद्धिजीवी बोले, सरकार ने जल्दबाजी में उठाया कदम

तीन तलाक से संबंधित अध्यादेश को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूरी देने को मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने सरकार द्वारा जल्‍दबाजी में उठाया गया कदम बताया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 10:40 AM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 03:54 PM (IST)
तीन तलाक पर मुस्लिम बुद्धिजीवी बोले, सरकार ने जल्दबाजी में उठाया कदम
तीन तलाक पर मुस्लिम बुद्धिजीवी बोले, सरकार ने जल्दबाजी में उठाया कदम
गोरखपुर (जेएनएन)। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी दिलाने के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इस अध्यादेश पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों का कहना है कि राज्यसभा में मंजूरी के बगैर अध्यादेश लाना जबरदस्ती कानून थोपना है।
सरकार की मंशा पर संदेह
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अजीज अहमद ने कहा कि जल्दबाजी में कोई कदम मसले का हल नहीं होता है। तलाक से संबधित बिल राज्यसभा से पास नहीं हुआ, इसके बावजूद अध्यादेश लाकर कानून बनाना कहीं न कहीं सरकार की मंशा पर संदेह पैदा करता है। सरकार मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए तत्पर नहीं है बल्कि उसे राजनीतिक मुद्दा बना रही है।
बेवजह दखल दे रही है सरकार
डॉ. ग्यासुद्दीन ने कहा कि इस मसले पर हुकूमत की नीयत साफ नहीं लगती है। यह अध्यादेश जल्दी में लाया गया है। सरकार इस मसले पर बेवजह दखल दे रही है। क्या अध्यादेश लाने से तलाक रुक जाएगा।
बुनियादी समस्‍याओं पर ध्‍यान दे सरकार
इंजीनियर शम्स अनवर ने कहा कि केंद्र सरकार को समाज के बुनियादी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए न कि उनके पर्सनल लॉ में दखलंदाजी करनी चाहिए। तलाक का मामला सीधे तौर पर मुस्लिम समाज का निजी मामला है इस अध्यादेश पर मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ मिलना आसान नहीं होगा।
संवेदनशील मुद्दे पर न हो राजनीति

मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया के प्रबंधक तहुव्वर हुसैन ने कहा कि तलाक जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार राजनीति कर रही है। तलाक इस्लाम में सबसे बुरी चीज है, लेकिन वह इस्लाम का हिस्सा भी है। अगर शौहर-बीबी के मतभेद हो जाए तो अलग-अलग रहना ही एकमात्र रास्ता है।
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