महराजगंज में करोड़ों खर्च के बाद भी दूषित जल पी रहे मुसहर
मुसहर ग्रामीण दूषित जल पीने को मजबूर हैं। मरम्मत के बाद भी अधिकांश हैंडपंप दूषित जल दे रहे हैं। जबकि आंकड़ों की बाजीगरी कर विभागीय अधिकारी व कर्मचारी हर वर्ष सरकार को लाखों रुपये की चपत लगा रहे हैं।
महराजगंज: विकास खंड निचलौल के 22 मुसहर बस्ती सहित 108 गांवों में स्वच्छ पेयजल के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में लगभग सात करोड़ की रकम खर्च कर 2500 इंडिया मार्क हैंडपंप का रिबोर कराया गया। वही 333 इंडिया मार्क हैंडपंप के मरम्मत कराए जाने का भी आंकड़ा है। बावजूद इसके निचलौल ब्लाक में निवास करने वाले मुसहर ग्रामीण दूषित जल पीने को मजबूर हैं। मरम्मत के बाद भी अधिकांश हैंडपंप दूषित जल दे रहे हैं। जबकि आंकड़ों की बाजीगरी कर विभागीय अधिकारी व कर्मचारी हर वर्ष सरकार को लाखों रुपये की चपत लगा रहे हैं।
विकास खंड क्षेत्र में अमड़ा उर्फ झुलनीपुर, बड़हरा चरगहा, बढ़या मुस्तकील, बहुआर कला, बजहा उर्फ अहिरौली, बजही, भेड़ियारी, भोथहा, चंदा, डोमा, गेड़हवा, कलनही खुर्द, कनमिसवां, करमहिया, रामचंद्रही, रमगढ़वा, शिकारपुर, सोहगीबरवा, कोल्हुआ, बहुआर कला, ढेसो, पैकौली कला मुसहर गांव हैं। इन बस्तियों की कुल आबादी 59355 है। वहीं पूरे ब्लॉक की आबादी 255892 है।
कनमिसवा के संजय ने बताया कि क्षेत्र के मुसहर बस्तियों में निवास करने वाले हजारों लोगों को इन दिनों स्वच्छ पेयजल की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। मुसहर बस्तियों में कहीं खराब हैंडपंप की समस्या है तो कहीं हैंडपंप से गंदे पानी निकलने की शिकायत है। जिसके चलते मुसहर बस्तियों के लोगों को स्वच्छ पेयजल के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है।
कनमिसवा के नारायण राजभर ने बताया कि जंगल से सटे होने के कारण मुसहर गांवों में बदहाली है। जिससे शुद्ध पेयजल की भी परेशानी है, लेकिन कोई जिम्मेदार इन समस्याओं की तरफ ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे हैं। कुछ माह पहले लगाए गए अधिकांश हैंडपंप खराब हो चुके हैं।
कनमिसवा के सूर्यबली ने बताया कि मुसहर ग्राम सभाओं में शुद्धपेय जल की समस्या के कारण गांव के लोग जलजनित बीमारियों से बचने के लिए मजबूरी में कई किलोमीटर दूर तेरह चार पुल से पानी लाते हैं। जिससे कुछ राहत है। सुदूर क्षेत्र होने के कारण यहां शुद्ध जल के लिए कोई अन्य साधन भी उपलब्ध नहीं है
कनमिसवा के रामबली ने बताया कि सरकार मुसहर बस्तियों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की बात कह रही है, लेकिन ब्लाक स्तर पर कर्मचारियों की लापरवाही से गांवों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। हर साल मरम्मत करने के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं फिर भी स्थिति जस की तस है। ''दूषित पानी के सेवन से डायरिया, टायफाइड, पीलिया, दस्त समेत पेट से संबंधित तमाम रोग हो जाते हैं। यदि समय रहते इनका उपचार नहीं किया गया तो धीरे-धीरे यह रोग गंभीर हो जाते हैं। उबला हुआ पानी पीना चाहिए। इसके अलावा नलों के आसपास सफाई रखना चाहिए।
डा. राजेश द्विवेदी, सीएचसी अधीक्षक, निचलौल
''जिम्मदारों से मामले की जानकारी लेकर ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए खराब पड़े इंडिया मार्क हैंडपंप का जल्द रिबोर कराया जाएगा। जहां जरूरी होगा वहां नया हैंडपंप भी लगवाया जाएगा। रिबोर करने में कोई दिक्कत हुई होगी तो जांच कराई जाएगी।
कृष्ण बहादुर वर्मा, जिला पंचायत राज अधिकारी