Vaccination in Gorakhpur: टीकाकरण के पहले दिन 25 से ज्यादा डोज हुआ था बर्बाद
कोरोना के टीका का वायल खुलने के छह घंटे के भीतर इस्तेमाल कर लेना है। यदि छह घंटे में टीका का इस्तेमाल न हुआ तो यह अनुपयोगी हो जाता है। 16 जनवरी को टीकाकरण के पहले दिन छह बूथों पर ही 25 डोज से ज्यादा टीका बर्बाद हुआ था।
गोरखपुर, जेएनएन। लापरवाह स्वास्थ्यकर्मियों ने दो दिन के टीकाकरण में तकरीबन 50 डोज कोविशील्ड का टीका बर्बाद करा दिया। स्वास्थ्यकर्मियों के इंतजार में टीकाकरण टीम बैठी रही। इनके न आने पर वैक्सीन में बचे डोज को अनुपयोगी घोषित करते हुए अलग कर दिया गया।
कोरोना के टीका का वायल खुलने के छह घंटे के भीतर इस्तेमाल कर लेना है। यदि छह घंटे में टीका का इस्तेमाल न हुआ तो इसे अनुपयोगी मान लिया जाता है। 16 जनवरी को टीकाकरण के पहले दिन छह बूथों पर ही 25 डोज से ज्यादा टीका बर्बाद हुआ था। दूसरे दिन 22 जनवरी को 41 बूथों पर तकरीबन 25 डोज टीका अनुपयोगी घोषित करना पड़ा।
दूसरे दिन रखा ध्यान
टीकाकरण के पहले दिन सुबह टीकाकरण तेजी से शुरू हुआ था। स्वास्थ्य विभाग ने टीका लगवाने के लिए आने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की पूरी संख्या को ध्यान में रखते हुए काम शुरू किया लेकिन दोपहर बाद अचानक टीकाकरण की गति धीमी हो गई थी। शाम तक इक्का-दुक्का स्वास्थ्यकर्मी ही आए। कई जगहों पर नए वायल से एक-दो डोज ही टीका लग सका था। दूसरे दिन स्वास्थ्य विभाग ने 10 स्वास्थ्यकर्मियों की सूची फाइनल होने के बाद टीका लगाने का निर्णय लिया था। हालांकि सतर्कता के बाद भी कई बूथों पर टीका बच गया।
एक वायल में 10 डोज
कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीका का एक वायल पांच एमएल का होता है। एक व्यक्ति को एक बार में 0.5 एमएल टीका लगाया जा रहा है। यानी एक वायल में 10 लोगों को टीका लगना है। सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय का कहना है कि कोरोना का टीका अनमोल है। सरकार इसे लोगों को निशुल्क लगा रही है। वायल खुलने के छह घंटे के भीतर टीका का इस्तेमाल हो जाना चाहिए। पहले दिन कुछ स्थानों पर टीका का डोज अनुपयोगी घोषित करना पड़ा था। दूसरे दिन इक्का-दुक्का स्थानों पर ही शिकायत मिली। सभी को टीका का महत्व समझना चाहिए और निर्धारित दिन व समय पर टीका लगवाना चाहिए।