मोरारी बापू ने कहा-भारत केे सात जगहों पर रहने मात्र से मिलता है मोक्ष

उन्‍होंने कहा कि अयोध्या मथुरा काशी अवंतिका पूरी कांची और द्वारिका यह सातों मोक्षदात्री भूमि है। हरिद्वार साक्षात प्रभु का द्वार है। द्वार में प्रवेश करना निर्वाण की भूमिका है। यहां से हरि तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 07:45 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 02:38 PM (IST)
मोरारी बापू ने कहा-भारत केे सात जगहों पर रहने मात्र से मिलता है मोक्ष
व्‍यास पीठ पर बैठकर कथा सुनाते कथा वाचक मोरारी बापू।

गोरखपुर, जेएनएन। मानस निर्वाण गहन अंतहीन विषय है। इससे पार पाना मुश्किल है। मोक्ष, मुक्ति, निर्वाण, परमगति, परमपद सभी अलग-अलग हैं। इन सभी में बहुत अंतर है। इनकी अवस्था भिन्न-भिन्न है। यह बातें प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने कुशीनगर में चल रहे रामकथा के तीसरे दिन सोमवार को कही। कहा कि भारत देश में सात भूमि ऐसी हैं जहां रहने मात्र से आदमी को मोक्ष मिल जाता है। इन्हें मोक्ष दायिनी कहते हैं।

ये है भारत के सात पवित्र भू‍मि

उन्‍होंने कहा कि अयोध्या, मथुरा, काशी, अवंतिका, पूरी, कांची और द्वारिका यह सातों मोक्षदात्री भूमि है। हरिद्वार साक्षात प्रभु का द्वार है। द्वार में प्रवेश करना निर्वाण की भूमिका है। यहां से हरि तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। काशी साक्षात मोक्षदायिका है। उज्जैन निर्वाण की साक्षात प्रतिमूर्त महादेव की भूमि है। कांची से ज्ञान की उत्पत्ति हुई है। ज्ञान की भूमिका ही निर्वाण की स्थिति है। जबकि निर्वाण भूमि विशेष नहीं है। निर्वाण साधक की भूमि है। निर्वाण कहीं भी हो सकता है। कबीर ने निर्वाण के लिए मगहर को चुना जबकि काशी में रहते हुए मोक्ष प्राप्त हो सकता था। उन्होंने कहा कि निर्वाण प्रतीक्षा करता है। जहां कोई युद्ध नहीं, संघर्ष नहीं, निर्वैरता नहीं, वही निर्वाण है।

संघर्षमुक्‍त जीवन ही निर्वाण

संघर्ष मुक्त जीवन ही निर्वाण है, जो निर्वाण को प्राप्त हो जाए वहीं बुद्ध है, बुद्ध पुरुष को न कोई सुख दे सकता है न दुख। जिस किसी के जीवन में सुख दुख का भाव समाप्त हो जाए वही निर्वाण है, वही बुद्ध है। द्वंद्वों से मुक्ति ही निर्वाण है। पुण्य न पाप। मन, क्रम और वचन से शुद्धता ही पुण्य-पाप के भंवरजाल-द्वंद्व से मुक्ति देने वाली है। यही निर्वाण की स्थिति है। बापू ने कहा कि सत्य का कोई विकल्प नहीं लेकिन सत्य का पर्याय साधुता है। साधु धर्म सिखाता है, किसी भी कीमत पर साधु मिल जाए तो उससे संगत करनी चहिए। उन्होंने निर्वाण को विष्णु, संयासी, स्वर्गलोक, निर्वाण लोक, महाभारत के अनुसार अर्जुन ने जो कर्ण पर तीर छोड़ा था व भी निर्वाण है, ऋग्वेद की एक शाखा निर्वाण उपनिषद है, अस्त, आयुष की समाप्ति, भव बंधन से छुटकारा, मृत्यु, आखिरी समय, बूझ जाना, मोक्ष, अंतिम शांति भी निर्वाण है।

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