ADG की डिमांड पर MMMUT बनाएगा साइबर सेल, साइबर अपराध रोकने में पुलिस की करेगा मदद
विश्वविद्यालय के छात्रों की तकनीकी क्षमता को सामाजिक सराकारों से सीधे तौर पर जोड़ने के क्रम में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय प्रशासन एक और नई पहल करने जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन एक साइबर सेल का गठन करने जा रहा है।
डा. राकेश राय, गोरखपुर : विश्वविद्यालय के छात्रों की तकनीकी क्षमता को सामाजिक सराकारों से सीधे तौर पर जोड़ने के क्रम में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय प्रशासन एक और नई पहल करने जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन एक साइबर सेल का गठन करने जा रहा है। यह सेल साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने में पुलिस की मदद करेगी। उलझे मामलों को सुलझाने का रास्ता सुझाएगी। सेल के गठन का फैसला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने एडीजी पुलिस अखिल कुमार की मांग पर किया है। उन्होंने बीते दिनों कुलपति से बात कर साइबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए एक्सपर्ट छात्रों की एक टीम की डिमांड की थी।
छात्रों के चयन का शुरू कर दिया कार्य
सेल के गठन के लिए विश्वविद्यालय ने छात्रों के चयन का कार्य शुरू कर दिया है। कंप्यूटर और इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्षों से ऐसे छात्रों को चिन्हित करने को कहा गया है, जिनकी साइबर क्राइम विषय में रुचि और विशेषज्ञता हो। सेल में उन शिक्षकों को भी शामिल किया जाएगा, जो इससे जुड़कर पुलिस की मदद करने को इच्छुक होंगे। नाम चिन्हित होने के बाद सेल के गठन की जिम्मेदारी कंप्यूटर विभाग को सौंपी जाएगी। साइबर सिक्योरिटी के प्रति छात्रों का रुझान जानने और उन्हें विषय में विशेषज्ञता प्रदान करने के क्रम में ही विश्वविद्यालय ने बीते दिनों इस विषय में एक कोर्स शुरू करने की योजना भी बनाई है, जिसे लेकर एकेडमिक काउंसिल और प्रबंध बोर्ड की मंजूरी भी मिल चुकी है। अगले सत्र से इसे शुरू करने की विश्वविद्यालय की योजना है।
साइबर सिक्योरिटी लैब पर भी चल रहा काम
प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एक साइबर सिक्योरिटी लैब स्थापित किया जा रहा है। लैब को स्थापित के लिए पुणे साइबर सिक्योरिटी से समझौता किया गया है। स्टालेशन कार्य शुरू हो चुका है। लैब में दो सुपर कंप्यूटर लगाए जाने की योजना है। इनमें से एक की खरीद हो चुकी है। उसे केरल के त्रिवेंद्रम से खरीदा गया है। दूसरा सुपर कंप्यूटर आने के बाद लैब का प्रयोग शुरू हो जाएगा।
एक कंप्यूटर 35 लाख रुपये का
एक कंप्यूटर की लागत 35 लाख रुपये है। लैब में साइबर सिक्योरिटी का कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। सेंट्रल आफ एक्सीलेंस इन साइबर सिक्योरिटी पर आधारित नए शोध किए जाएंगे। लैब से पुलिस विभाग को भी जोड़ा जाएगा, जिससे उन्हें साइबर क्राइम से जुड़े मामलों का पर्दाफाश करने में मदद मिलेगी। पुलिस विभाग अगर चाहेगा, तो अपने जवानों और अधिकारियों की साइबर ट्रेनिंग के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकेगा।
लैब को अंतिम रूप देने की दिशा में चल रहा है कार्य
एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने कहा कि मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पहले से ही नेशनल साइबर सेफ्टी सिक्योरिटी स्टैंडर्ड का सदस्य है। ऐसे में सेल के गठन और लैब की स्थापना से उस सदस्यता की सार्थकता सिद्ध होगी। एडीजी पुलिस से बातचीत के बाद सेल की गठन की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई है। लैब को अंतिम रूप देने की दिशा में भी कार्य चल रहा है। सेल और लैब दोनों साइबर क्राइम पर नियंत्रण में पुलिस के लिए उपयोगी साबित होंगे, ऐसी उम्मीद है।