भाजपा विधायक व पूर्व सीएमओ को हाई कोटर् से मिली राहत

संतकबीर नगर जनपद के पूर्व सीएमओ डा. हरगोविद सिंह व मेंहदावल के भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल को हाई कोर्ट से राहत मिली है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों के खिलाफ दर्ज केस की विवेचना पर रोक लगा दी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 04:31 AM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 04:31 AM (IST)
भाजपा विधायक व पूर्व सीएमओ को हाई कोटर् से मिली राहत
भाजपा विधायक व पूर्व सीएमओ को हाई कोटर् से मिली राहत

संतकबीर नगर: जनपद के पूर्व सीएमओ डा. हरगोविद सिंह व मेंहदावल के भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल को हाई कोर्ट से राहत मिली है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों के खिलाफ दर्ज केस की विवेचना पर रोक लगाते हुए न्यायाधीश के खिलाफ टिप्पणी की है।

वर्ष 2020 में भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल के कोरोना संक्रमित होने की फर्जी रिपोर्ट बनाने के मामले में तत्कालीन सीएमओ डा. हरगोविद सिंह और विधायक के खिलाफ विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) दीपकांत मणि ने जालसाजी का मुकदमा दर्ज करने का आदेश कोतवाली प्रभारी खलीलाबाद को दिया था। कोर्ट के आदेश पर दोनों के विरुद्ध जालसाजी का मुकदमा दर्ज किया गया था। केस दर्ज होने के बाद डा. हरगोविद सिंह ने विशेष न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की। उनका कहना था कि उन्हें गलत रूप से फंसाया गया है। सीएमओ द्वारा जारी चिकित्सा प्रमाण पत्र की वास्तविकता के बारे में ठीक से जाने बिना मुकदमा दर्ज करा दिया गया है।

जस्टिस कौशल जयेंद्र ठक्कर व जस्टिस अजीत सिंह ने उन्हें राहत देते हुए कहा कि कोविड-19 की महामारी के दौरान न्यायालय परिसर में अनावश्यक भीड़ न लगाने का आदेश जारी किया गया था। विशेष आवश्यकता पड़ने पर वर्चुअल सुनवाई की भी व्यवस्था है। विधायक राकेश सिंह बघेल को कोर्ट में हाजिर होने के लिए समन व वारंट जारी करने का कोई खास कारण प्रतीत नहीं होता। विधायक के न्यायालय में हाजिर नहीं होने और उनके कोरोना पाजिटिव होने के बाद भी सीएमओ को षडयंत्र में शामिल होना बताकर मुकदमा दर्ज करवाने की कार्रवाई समझ से परे है। संबंधित न्यायिक अधिकारी को भविष्य में ऐसे आदेश पारित करने से बचने की सलाह दी जाती है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार के अधिवक्ता एनके श्रीवास्तव को एक जुलाई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने सीएमओ व विधायक समेत मामले के अन्य आरोपितों पर कोई दंडात्मक कार्यवाही न किए जाने के साथ ही केस की विवेचना रोकने का आदेश पारित किया है।

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