EWS कोटे से प्रोफेसर बने मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने इस्‍तीफा द‍िया, इंटरनेट मीडिया में बना था चर्चा का विषय

कुलपति प्रो सुरेंद्र दुबे को सौंपे त्‍यागपत्र में उन्‍होंने व्‍यक्तिगत कारणों से इस्‍तीफा देने की बात कही है। कुलपति ने इसकी पुष्टि करते हुए उनका इस्‍तीफा मंजूर कर ल‍िया है। अरुण द्विवेदी प्रदेश सरकार में शिक्षा राज्‍यमंत्री स्‍वतंत्र प्रभार सतीश द्विवदेी के सगे भाई हैं।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 26 May 2021 03:07 PM (IST) Updated:Wed, 26 May 2021 07:01 PM (IST)
EWS कोटे से प्रोफेसर बने मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने इस्‍तीफा द‍िया, इंटरनेट मीडिया में बना था चर्चा का विषय
सिद्धार्थ विश्‍वविद्यालय के प्रशासनिक भवन का फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएएन। सिद्धार्थ विश्‍वविद्यालय में ईडब्‍ल्‍यूएस कोटे से असिस्‍टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति पाने वाले अरुण द्विवेदी ने बुधवार को इस्‍तीफा दे द‍िया। कुलपति प्रो सुरेंद्र दुबे को सौंपे त्‍यागपत्र में उन्‍होंने व्‍यक्तिगत कारणों से इस्‍तीफा देने की बात कही है। कुलपति ने इसकी पुष्टि करते हुए उनका इस्‍तीफा मंजूर कर ल‍िया है। अरुण द्विवेदी प्रदेश सरकार में शिक्षा राज्‍यमंत्री स्‍वतंत्र प्रभार सतीश द्विवदेी के सगे भाई हैं। ईडब्‍ल्‍यूएस कोटे से उनकी नियुक्ति को लेकर इंटरनेट मीडिया पर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे।

कुलपति का पूर्व में भी रहा भर्ती में विवादों से नाता

सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय में अपने पद व रसूख के दम पर प्रवक्ता और प्रोफेसर की नौकरी हासिल करने का खेल काफी पहले से चल रहा है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में मंत्री के भाई की ईडब्ल्यूएस पर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रकरण के तूल पकडऩे के बाद एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है। इंटरनेट मीडिया पर पुराने मामले फिर से उभरने लगा है। लोग पोस्ट पर कमेंट कर रहे हैं।

पूर्व कुलपति राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद प्रोफेसर डा. रामअचल सिंह ने आरोप लगाया कि कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे का भर्ती प्रकरण में विवादों से पूर्व का नाता रहा है। वर्ष 2019 में प्रो. सुरेंद्र दुबे के पुत्र प्रत्युष दुबे की नियुक्ति नियम व कानून को ताक पर रख किया गया था। हिंदी विभाग में इसके अलावा दो अन्य नियुक्तियां गलत ढंग से की गई थी। उस समय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में प्रो. विजय कृष्ण सिंह तैनात थे। विश्वविद्यालय कार्यसमिति के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया था। कार्य परिषद ने प्रो. सुरेंद्र दुबे के पुत्र की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज में दर्ज किया है कि यह पद की पात्रता को उत्तीर्ण नहीं करते हैं। बावजूद यह रिपोर्ट लगी होने के बाद भी रसूख व दबाव के नियुक्ति पत्र जारी किया गया। इसके अलावा कई अन्य शिक्षकों के पुत्र व रिश्तेदार की भी गलत ढंग से भर्ती की गई थी। इसकी शिकायत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से लगायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा तक पहुंची थी। मामले के संबंध में राजभवन की ओर से शिकायतकर्ता को पत्र भेजकर मामले का संज्ञान लेने की जानकारी दी गई। लेकिन अभी कोई विशेष पहल नहीं हुई। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में भी जो कुछ भी हुआ, वह संस्थान के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में रहा होगा। बगैर उनकी जानकारी के कोई काम नहीं होता है। हालांकि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे का कहना है कि प्रत्युष दुबे मेरे पुत्र हैं। गोरखपुर विवि में हिंदी विभाग में आचार्य पद के लिए आवेदन किया था। सभी मानक को पूरा करने के बाद नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हुई। इस मामले में मेरा कोई लेना-देना नहीं हैं। जबकि यह बात है उस समय की है जब मैं सिविवि में कुलपति के रूप में कार्य कर रहा था।

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